आज से गुप्त नवरात्र प्रारंभ, क्या होतें हैं गुप्त नवरात्र और क्या मंत्र उच्चारण से घन व सेहत लाभ मिल सकता है ?
आज गुप्त नवरात्रि_विशेष
* देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार (4) वार नवरात्रें आते है
* एक वर्ष में (2) बार प्रकट नवरात्र I
चैत्र मास शुक्ल पक्ष( श्री राम जन्म वाले ) व आशिवन मास शुक्ल पक्ष में (दशहरे वाले ) आते है , ज़िन्हे आप सब जानते हें और पूजा करते है ll
* दो (2) बार गुप्त नवरात्र भी आते है I
आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को ‘गुप्त नवरात्र’ कहा जाता है ,
अब माघ मास के नवरात्र हैं इसलिये अब गुप्त नवरात्रें 25 जनवरी से 3 फरवरी 2020 तक हैं
हालांकि इस नवरात्रि के बारे में लोगों को कम जानकारी है l
ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्र के दौरान भी अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा व अर्चना करनी चाहिए।
पूरे नौ (9) दिनों के उपवास का संकल्प लेना चाहिए और साथ ही प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना भी ज़रूर से करनी चाहिए l
यही नहीं, घटस्थापना के बाद रोजाना सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए और फिर अष्टमी या नवमी के दिन आप कन्या का पूजन करें ll
गुप्त नवरात्रि का महत्त्व
जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में #दस महाविद्याओं की साधना की जाती है l
गुप्त नवरात्रि खासतौर से तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है ,इस समय भक्त माँ के साक्षत्कार व भक्ती प्राप्ती के लिये पूजा करते है
गौरतलब है कि इस दौरान देवी भगवती के साधक बड़े ही कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं , साथ ही साथ इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का भी प्रयास करते हैं।
कौन सी हैं गुप्त नवरात्रि की 10 प्रमुख देवियां
आपको बता दें कि गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या व तंत्र साधना के लिए
1 *मां काली,
2 *माता तारा देवी,
3 *माता त्रिपुर सुंदरी,
4 *माता भुवनेश्वरी,
5 *माता छिन्नमस्ता,
6 * माता त्रिपुर भैरवी,
7 *मां ध्रूमावती,
8 *माता बगलामुखी,
9 *माता मातंगी और
10 *माता कमला देवी
माता की पूजा बड़े ही श्रद्धा से करते हैं।
🌷गुप्त नवरात्रि पूजा की विधि🌷
लोगों की यही कामना रहती है कि मां दुर्गा की पूजा बिना किसी विध्न व रोक-टोक के साथ कुशलता-पूर्वक संपन्न हो जाएं और मां अपनी कृपा हम सभी पर बनाएं रखें l
समान्य पुजन करने के लिये सभी विधि विधान के अलावा जिन सामग्री की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं। जैसे लाल फूल, पेठे की मिठाई या अन्य कोई मीठी वस्तु , फल, माता ज़ी के वस्त्र , मोली ,मोली , सिन्दूर, फल , फूल , पंच मेवा , गंगा जल ,नारियल, लाल चंदन, घी का दीपक , धूपवत्ती और आरती के लिये कपूर ।
पहले दिन ब्रह्म मूहर्त (सुबह )में उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर शुद्ध कपड़े पहनें , लाल रंग के वस्त्र पहनना अति शुभ होता है य़ा कोई लाल वस्त्र अपने सिर पर रख ले , माँ का पूजन शुद्ध आसन पर बैठकर अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ करके करें l
इस बात का खास ध्यान रखें कि कलश स्थापना के तुरंत बाद मां दुर्गा का श्री रूप या चित्रपट लाल रंग के पाटे को ज़रूर से सजाएं l
फिर मां दुर्गा के बाएं ओर गौरी पुत्र श्री गणेश का श्री रूप या चित्रपट भी विराजित करें यदि संभव हो तो दस महाविधा देवी जी चित्र भी ले लें l
वही साथ ही किसी मिट्टी के वर्तन में पवित्र नदी की रेत में जौं बोना ना भूलें , गुप्त नवरात्रि के समय मां दुर्गा के कलश में जल ,गंगाजल,सिक्का ,फूल डाले व इसके ऊपर नारियल मे मोली य़ा लाल वस्त्र लपेटकर कलश के ऊपर रख ढ़क दें ,
फिर माँ को अपने समक्ष सामने मानते हुए ,माँ को व क्लश .. लौंग, इलायची, पान, सुपारी,मोली य़ा वस्त्र लाल चंदन,फूल , भोग, अक्षत, कुछ पैसे जो भी आपके पास पूजा के समय उपलब्ध हो उसे समर्पित कर दें .और अपनी पूजा आरम्भ कर दें l
दस महाविधा देवी की जाप विधि एक जटील प्रक्रिया है जो हर किसी के लिये संभव नही है l
इसलिये मुझे लगता है की ज़नसमान्य के लिये यह एक जटिल विधि है , इसलिये आप नित्य प्रतिदिन देवी का जो भी मंत्र जाप करते हैं उसी मंत्र का जाप और दुर्गा सप्तशती का पाठ पूर्ण श्रद्धा से कर लें आर्थात अपनी क्षमता अनुसार आप माँ दूर्गा जी का पूजन करें l आप को लाभ अवश्य होगा l
साथ ही आप दूर्गा जी के 32 नाम का पाठ करे तो अच्छा रहेगा ll🌷
॥ दुर्गाद्वात्रिंशन्नामावली ॥
दुर्गा दुर्गार्तिंशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी ।
दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ॥ १॥
दुर्गतोद्धारिणी दुर्गनिहन्त्री दुर्गमापहा ।
दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला ॥ २॥
दुर्गमादुर्गमालोका दुर्गमाऽऽत्मस्वरूपिणी ।
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता ॥ ३॥
दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी ।
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी ॥ ४॥
दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी ।
दुर्गमाङ्गी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी ॥ ५॥
दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी ।
नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया सुधी मानवः ॥ ६॥
पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ।
शत्रुभिः पीड्यमानो वा दुर्गबन्धगतोऽपि वा ।
द्वात्रिंशन्नामपाठेन मुच्यते नात्र संशयः ॥ ७॥
यह गुप्त नवरात्र की मात्र समान्य ज़ानकारी है I
प.मुकेश गौड़
9829452307