इंदौर में बेधड़क बढ़ रहा ‘पब माफिया’ , न पुलिस का डर, न कार्यवाही की परवाह, कोई ‘प्रहार’ भी नहीं
डॉ सौरभ माथुर
इंदौर। शहर के पुलिस भले ही प्रहार जैसे आपरेशन चला नशे के सौदागरों पर नकेल कसने की बात कर रही हो लेकिन संगठित तरीके से, आबकारी से लाइसेंसी लेकर बेधड़क शहर के युवाओं को देर रात शराब परोसते पब अब माफिया की शक्ल लेने लगें हैं।
खुले आम पुलिस को पैसे बाटने के आरोप लगाते हैं, डीएसपी जैसे वरिष्ठ अधिकारियों को निकल जाने के लिए कहते हैं, गुंडो को बाउंसर का नाम देकर मारपीट करतें हैं और ठाट से गिरफ्तार होकर, ज़मानत लेकर बार बार छूट जातें हैं, इतना ही नहीं, अपने नशे के कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए अश्लीलता भरे विज्ञापन खुले आम चलाते हैं, इनके निडरता का ज़रा अंदाज़ा तो लगाइए, जो मीडिया के सामने, पुलिस ने सामने खुले आम धमकी देता हो वो भला किससे डरता होगा ?
पत्रकारों तक से मारपीट तक का दुस्साहस करने से बाज़ नहीं आते ये पब संचालक अब संगठित माफिया का रूप ले चुकें हैं जहाँ अन्य सभी पब मिलकर फंडिंग करते हैं औऱ सभी चीज़े ‘मैनेज’ हो जातीं हैं वर्ना बिना किसी राजनैतिक संरक्षण और पुलिस की मिलीभगत के इतना बेधड़क होना असंभव सा लगता है।
ज़रा सोचिए, एक तरफ वो अपराधी जो अन्य नशा बेचते हैं, बिना किसी राजनैतिक शरण के काम करतें हैं और पुलिस के ‘प्रहार’ में धराशाई हो जातें हैं वहीं दूसरी तरफ वो पब माफिया जो खुले आम रात 2 बजे तक वयस्क, अवयस्क को शराब बचतें हैं, पुलिस की फौरी कार्यवाही में गिरफ्तार हो ज़मानत पर फिर उसी निडरता से वापस काम करने लागतें हैं, एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा करतें हैं कि जैसा डर, भय, दबाव शहर की एडवाइजरी, गांझे बेचवाल में है वैसा भय ये व्हाइट कॉलर पब संचालकों में क्यों नहीं है ?
अपने बेबाक रवैये से ये पब माफिया एक सवाल आम जनता, पुलिस व प्रशासन से पूछते नज़र आतें हैं कि : ‘हम तो देर रात तक शराब पिलायेंगे, नचाएंगे, तुम क्या कर लोगे ?’ …..