कैंसर से पीड़ित महिला शिक्षिका की ड्यूटी चुनाव में लगाने का मामला सामने आया। निर्वाचन अधिकारियो की लापरवाही उजागर।
मृत हो चुके या फिर रिटायर हो चुके अधिकारियों कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगाने के मामले में बदनाम निर्वाचन कार्यालय ने अब एक और कारनामा किया है । कार्यालय ने केंसर से जूझ रही शिक्षिका जो पिछले दो माह से मेडिकल लिव पर है उसकी ड्यूटी लगा दी है । ड्यूटी निरस्त कराने के लिए शिक्षिका को मेडिकल बोर्ड से भी राहत नही मिल रही है । सोमवार को शिक्षिका अपने परिजनों की सहायता से कलेक्टर के समक्ष गुहार लगाने पहुंची ।
वीओ आपकी टीवी स्क्रीन पर नजर आ रही यह महिला कलेक्टर कार्यालय में बीमारी आर्थिक सहायता के लिए नही बल्कि लोकसभा चुनाव में लगी ड्यूटी को निरस्त कराने आई है । दरअसल गवली पलासिया के शासकीय स्कूल की प्रधान शिक्षिका पुष्पा सोहरा को अपनी निर्वाचन ड्यूटी कटवाने के लिए कलेक्टर के समक्ष आना पड़ा……आप ये सोचकर रहे होंगे कि इतनी बुरी हालात में तो महिला पहले से ही छुट्टी पर होगी तो उनकी ड्यूटी इलेक्शन कार्य में कैसे लगा दी…तो ये भी जान लिजिए कि ये कारनाम उनके ही विभाग यानी शिक्षा विभाग ने कर दिखाया और तिसरी स्टेज के केंसर से जूझ रही पुष्पा की ड्यूटी ब्रेन ट्यूमर ऑपरेशन होने के बावजूद निर्वाचन कार्य के लिए लगा दी ….और उन्हे ट्रेनिंग पर बुलाने के फोर्स भी किया जा रहा है ।
वीओ इस पूरे मामले में हद तो उस वक्त हो गई जब मेडिकल बोर्ड ने भी उन्हे और उनके दस्तावेज देखने के बाद भी ड्यूटी रिलीफ को लेकर अपनी रिकमेंडेशन देने से इंकार कर दिया….जिसके बाद इस महिला शिक्षिका को तमाम कष्ट झेलते हुए कलेक्टर से गुहार लगाने आना पड़ा । अब कलेक्टर ने शिक्षिका के मामले सहित ऐसे अन्य मामलों को लेकर कमेटी द्वारा निर्णय लेेने की बात कही है…..
वीओ आपको बता दे कि भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन ड्यूटी में छूट को लेकर सारे अधिकार जिला निर्वाचन अधिकारी को दे रखे है लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी भी मेडिकल परिक्षण के बाद दी जाने वाली रिकमेंडेशन पर निर्भर होते है । पुष्पा के मामले को देखकर कहा जा सकता है कि मेडिकल बोर्ड रिलीफ के मामले में किस तरह लापरवाही का बर्ताव कर रहा है । ऐसे में वाकई में गंभीर बीमार कर्मचारी को स्वास्थ कारणों से मिलना मुश्किल ही नजर आता है ।