कोरोना महामारी लॉक डाउन में जनता की सहूलियत व जिले के बाहर और जिले में फसे लोगो के लिए रोज जारी हो रहे अधिकारियों के हवा हवाई नंबर
अशोक रघुवंशी
मध्यप्रदेश सरकार के मूख्यमंत्री कोरोना महामारी से लड़ने की बजाय पिछले एक माह से अपनी कुर्सी को दोनो हाथो से पकड़े बेठे है। सिर्फ रोज नंबर जारी करने के अलावा कोई कार्य नही। क्या मूख्यमंत्री जी अधिकारियों के नंबर जारी करने से पहले उन्हें सूचित कर रहे है। ऐसा सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि लोकडाउन के बाद से जितने अधिकारियों के नंबर जारी किए गए है। उनमें जे किसी अधिकारी ने अभी तक कोई फोन नही उठाया न किसी भी व्यक्ति की कोई मदद की है। लोकडोवन कि वजह से कोई भी आम आदमी घर से निकल नही सकता,फोन अधिकारी उठा नही रहे तो फिर जनता को क्यों मूर्ख बनाया जा रहा है।
सरकार जनता को स्पस्ट जानकारी क्यों नही दे रही की हमारे पास कोरोना महामारी में इस बीमारी की जाँच की कोई व्यवस्था नही है? जो कि जा रही है उसकी विश्वनीयता हमे भी नही है। पॉज़िटिव निगेटिव का भ्रामक खेल जनता की भावनाओ के साथ खेला जा रहा है।
न जाँच, है न इलाज है , न दवाइया,न उस स्तर के डॉक्टर है। जो है वो आरक्षण की जहरीली बेल पर उगे फल है जिनकी काबलियत सरकार से ज्यादा अच्छी तरह ओर कोई नही जान सकता।
सरकार पूर्णतः इस महामारी में भगवान भरोसे है और जनता को भी अपने भगवान के हो भरोसे रहना चाहिए सरकार की जगह। जब टैस्ट की व्यवस्था नही है इलाज नही है, तो लॉकडाउन कितना भी बढ़े क्या फर्क पड़ता है। लोकडाउन 15 दिन बढ़ाने से क्या 15 दिन में अधिकारी फोन उठाने लगेंगे?क्या दवाई बन जाएगी? क्या लोगो का जीवन आसान हो जाएगा?