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क्या सो रहा है SEBI ?

इनसाइड स्टोरी : डॉ सौरभ माथुर

इंदौर।  पिछले तक़रीबन 6 महीनों  में ऐसे कई मामले हुए जिसमे सेबी रजिस्टर्ड फाइनैंशल  एडवाइजरी पर पुलिस को कड़ी कार्यवाही करनी पड़ी।  इसमें दो सबसे बड़े मामले थे ways 2 capital  के जिसमे आंध्र प्रदेश की पुलिस को खुद इंदौर आकर कंपनी के मालिक  को गिरफ्तार करना पड़ा जहाँ वहीँ हाल ही में ट्रेड इंडिया रिसर्च का मामला है जिसमे देश के एक सैनिक से 23 लाख की धोकाधड़ी हुई।

पुलिस ने जब छापा मारा तो उनके भी होश उड़ गए , फ़र्ज़ी फेसबुक प्रोफाइल, फ़र्ज़ी केवायसी इत्यादि  और ये सब कई सालों से सेबी के रजिस्ट्रेशन के बाद  बहुत ही संगठित रूप थे खुले आम चल रहा था।

इस पूरे मामले ने एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर दिया , की जब सब जानते हैं की इंदौर शहर में देश की सर्वाधिक एडवाइजरी संचालित होतीं हैं , लगातार शिकायते आती हैं और जब ये सब कुछ हो रहा था तब क्या सेबी सो रहा था ?

ज्ञात हो सेबी एक रेगुलेटरी बॉडी है जिसका काम ही  उसके अंतर्गत आने वाले  विभिन्न वित्तीय संस्थानों को नियमित करना है , क्या सेबी को नहीं पता की इंदौर में कितनी रजिस्टर्ड एडवाइजरी हैं  ? क्या सेबी को नहीं पता की क्या क्या तरीकों से ठगी की जाती है ? क्या सेबी को इनकी नियमित शिकायतें नहीं मिलती ?

यदि हैं तो अब तक कितनी एडवाइजरी के लइसेंस निरस्त हुए ? ways 2 capital का लिसेंसे भी पुलिस कार्यवाही के बाद आनन फानन में निरस्त किया गया।

सूत्रों  के अनुसार इस फौजी के मामले में भी शिकायत सेबी के पास कई महीनों से थी लेकिन उसके ढुल  मुल  रवैये ने फरियादी को पुलिस के पास जाने पर मजबूर कर दिया ,  यदि सेबी सख्ती दिखाते  हुए उसी समय कड़ा फैसला कर लेती तो पुलिस को छापा मारने  की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।

कायदे से खुद सेबी को इन मामलों में तत्परता दिखाते  हुए कार्यवाही करनी चाहिए, समय समय पर हर रजिस्टर्ड एडवाइजरी का पूर्ण ऑडिट करना चाहिए ताकि पहले ही छेद में टांका  लगाया जा सके।

आज ऐसे एडवाइजरी को सेबी का कोई डर  नहीं , हाँ पुलिस का डर  ज़रूर बैठ गया है इसीलिए जैसे ही कोई भी शिकायत पुलिस तक पहुँचती है ये तुरंत उसका पूर्ण रिफंड करने को  तैयार हो जाते हैं , लेकिन ये मानसिकता ठीक नहीं।

यदि सेबी का यही रवैया रहा तो लोग सेबी के स्कोर पर शिकायत डालने की जगह थाने में आवेदन देना शुरू कर देंगे।

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