चचा , ओ ……. वाले चचा ! पायजामा पहन लो, देश देख रहा है !
'एक बात सुनो ' - डॉ सौरभ माथुर
दिल्ली। हाल ही में , देश की राजधानी में चलते फिरते वायरस बमों की तरह जमात में हज़ारों लोग ‘ पाए गए’ जिसका खुलासा होते ही पूरे देश के होश उड़ गए क्यूंकि केंद्र सरकार और केजरी सरकार के ठीक नाक के नीचे देश भर से आये मौलाना और जमात के लोग हज़ारों की तादाद में , बिना बताये, बिना इजाज़त लिए इकट्ठे थे और वहां से निकलकर पूरे देश में फ़ैल चुके थे।
मामला भी तब खुला जब उनकी खुद की ग़लतफ़हमी दूर हो गयी की कोरोना से ‘ हमें ‘ कुछ नहीं होगा लेकिन जैसे ही पहली जान गयी उनके पैरों तले ज़मीं खिसक गयी , मजबूरी में बताना पड़ा।
जब एक एक करके हज़ारों में लोग निकले और बस में बैठाये गए लोगों ने जैसे ही सड़क पर थूकना शरु किया, तुरंत ही साबको इनकी मंशा समझ में आ गयी।
इसमें मुझे तो कोई संदेह नहीं है की से सब पूर्व निर्धारित साज़िश के रूप में किया गया था , साज़िश एक नहीं बहुत सारी , अलग अलग , और देखिएगा जैसे ही कोरोना का प्रकोप ख़त्म होगा , वैसे ही देश की सुरक्षा एजेंसियां परत दर परत मामला देश सामने खोलेंगीं।
पूरे मामले में सबसे ज़यादा दुःख इस बात का है की क्वारंटाइन में रखे गए हमारे अपने देश के मुस्लिम भाइयों ने सारी हदें पार कर दी , उन्होंने न ही सिर्फ देश पर थूका बल्कि अपनी बेटी जैसे उम्र की नर्सों के सामने पायजामे उतार के घुमते रहे , वो ये भूल गए की देश के लोग घर के अंदर है लेकिन कैमरे बाहर ही हैं , उनकी इस हरकत से देश के हर इज़्ज़तदार देशभक्त मुसलमान भाई की आंखें शर्म से झुक गयीं।
हालाँकि आज उत्तर प्रदेश के सी एम योगी आदित्य नाथ ने उन सभी पर नासा एक्ट के तहत कार्यवाही करने को कहा है लेकिन पिछले कुछ दिनों से देश के अलग अलग हिस्सों में हुई कुछ ऐसी ही घटनाओं ने भारत के एक समाज के दिलों में किसी के द्वारा ज़हर घोले जाने की साज़िश के बारे में सरकार को चेताया है वार्ना ये कैसी मानसिकता है जो बीमारी को जमात में बढ़ाने और इलाज करने वालों पर अलग अलग तरह से हमला करने की प्रेरणा देती है ?