‘पुलिस से डर नहीं लगता साहब , राजगढ़ कलेक्टर से लगता है’ : उस दिन एक के बाद एक चले तीन थप्पड़ , पहले 61 वर्षीय एएसआई फिर पटवारी और बाद में नेताजी
डॉ सौरभ माथुर
इंदौर। दबंग फिल्म का डायलॉग आज फिर याद आ गया लेकिन इस बार डर प्यार से नहीं राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता के थप्पड़ से, उस दिने कलेक्टर के झन्नाटेदार थप्पड़ ने बीजेपी के नेताजी के ही नहीं बल्कि अपनी ड्यूटी कर रहे एएसआई व पटवारी के गाल को भी लाल कर दिया था।
उस दिन अगर मीडिया के सामने नेताजी को चांटा नहीं पड़ा होता तो बेचारे इन दोनों की बात भी दब गयी होती , मुद्दा ये है की एक विरष्ठ प्रशासनिक अधिकारी कैसे अपनी सारी मर्यादाएं लांघकर अपने ही कर्मचारियों व नेताओं पर ऐसे हाथ उठा सकता है ? क्या उन पीड़ितों का ज़रा भी आत्मसम्मान नहीं है ? सोचिये कितना गुस्सा आया होगा उनको , कितने आहत हुए होंगे उनके बच्चों व परिवारजन।
यदि ऐसे अधिकारी पर सख्त कार्यवाही न हुई तो कहीं पूरे प्रशासन में एक गलत उदाहरण न बन जाए और जिसे देखो अपने जूनियर अधिकारीयों के गाल पर थप्पड़ चटकाता हुआ या हुई न नज़र आने लगे।