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प्रेमचंद गुड्डू के सिंधिया पर हमले से मचा भाजपा में बवाल , क्या कांग्रेस का अंडरकवर ऑपरेशन जल्द कोई धमाके करेगा ? क्या भाजपा में आंतरिक मतभेदों से त्रस्त नेता खेल बदल पाएँगे ? क्या कमलनाथ 2 .0 संभव है ?

मंथन - चीफ एडिटर डॉ सौरभ माथुर का विशेष कॉलम

भोपाल।  पूर्व में कांग्रेस में कई साल देने के बाद कुछ वर्ष पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए पूर्व विधायक व सांसद प्रेमचंद गुड्डू  की  वापस बड़ी राजनीतिक हलचल से प्रदेश की राजनीति में मानों  भूचाल आ गया है, विशेष रुप से भाजपा इंदौर खेमे में, गुड्डू ने हाल ही में कांग्रेस के कुछ  नेताओं के साथ बैठकों का दौर किया उन्हीं में एक बैठक में उन्होंने सिंधिया  पर तीखा हमला करते हुए उन्हें खानदानी  गद्दार तक घोषित कर दिया।

इस खबर के फैलते ही भारतीय जनता पार्टी के खेमे में मानों  हड़कंप मच गया हो, हालांकि पिछले कुछ माह से गुड्डू के वापस कांग्रेसमें जाने की अटकलें काफी तेज हो गई है लेकिन इस पर उनके अभी तक कोई औपचारिक बयान ना आने की वजह से तस्वीर साफ नहीं हो पाई है।

सूत्रों की माने तो कांग्रेस भी पिछले कई माह से एक अंडरकवर प्रोग्राम चला रही है जिसमें अंदर ही अंदर भाजपा के उन नेताओं को तोड़ने की कोशिश की जा रही है जो संगठन के आंतरिक  मतभेदों से भर  चुकें  है अथवा किसी भी क्षण विद्रोह का बिगुल बिगुल बजा सकते हैं ।

भाजपा की सरकार को वापस सत्ता में आए कुछ ही माह हुए हैं लेकिन उसके बाद से अब तक संगठन में दिए गए अलग-अलग पदों पर घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है, फिर चाहे वह प्रदेश अध्यक्ष का पद हो, मंत्रिमंडल का विस्तार हो या  इंदौर के नगर अध्यक्ष का मामला हो, सभी में जमकर कुश्तम पचास हुई है।

सूत्रों की माने तो कांग्रेस आलाकमान व कांग्रेस से कुछ पुराने खिलाड़ी नेता पिछले कई माह से एक अंडरकवर ऑपरेशन चला रहे हैं जिसमें इस प्रकार के सभी नेता जो संगठन से नाखुश हैं उनसे संपर्क साथ कर उनको कांग्रेस में जोड़ने की तैयारी की जा रही है जिकसी बागड़ोर दिग्विजय सिंह के पास होना बताया जा रहा है , हालांकि अब तक पूरा ऑपरेशन बेहद गोपनीय है ताकि भाजपा कोई काउंटर प्लान  ना कर सके.

अब देखना यह है कि हाथ में आई हुई  सत्ता को भी  खो चुकी कांग्रेस किस प्रकार अपने इस अंडर कवर  ऑपरेशन में सफलता हासिल करती है और क्या दोबारा कमलनाथ सरकार प्रदेश में वापसी ले सकती है ?

यह आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इसकी संभावना से पूर्ण रूप से भी इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि महाराज को राज़ी  रखना भाजपा के बस में बहुत लंबे समय तक नहीं रहेगा क्योंकि भाजपा के जिन नेताओं का टिकट काटकर कांग्रेस से शामिल हुए नेताओं और उसी खेप में से आने वाले समय में   बनाए जाने वाले मंत्रियों को दिया जाएगा उनका अंतर्विरोध चुनाव के समय खुलकर सामने आ सकता है.

हालाँकि आज इंदौर अथवा सांवेर के कुछ कोंग्रेसी नेताओं के भाजपा में शामिल होने से माहौल बदलता दिख रहा है लेकिन ये न समझे की कमलनाथ, दिग्विजय सिंह जैसे नेता कुछ कर नहीं रहे होंगे , इस बात से पूरी तरह इनकार नहीं करना चाहिए की  कमलनाथ सरकार 2.0 दोबारा भी  आ सकती है, बाकी आगे आगे देखिए होता है क्या।

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