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Astrology

मकर संक्रांति आज या फ़िर कल 15 जनवरी को ? जाने सही तारीख के साथ पूजा के मुहूर्त व क्या और कैसे करे सबसे उत्तम दान

मकर – संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। सूर्य के राशि परिवर्तन अर्थात गोचर को शास्त्रानुसार संक्रांति कहा जाता है। सूर्य का यह गोचर प्रतिमाह होता है, जब गोचरवश सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
विक्रम संवत 2076, ईसवी वर्ष 2020 में सूर्य 14-15 जनवरी की मध्य रात्रि 1 बजकर 55 मि. दिन बुधवार को मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अत: वर्ष 2020 में मकर-संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा।
इसका विशेष पुण्यकाल दिन में 4 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त-

मकर संक्रांति 2020- 15 जनवरी
संक्रांति काल- 07:19 बजे (15 जनवरी)
पुण्यकाल-07:19 से 12:31 बजे तक
महापुण्य काल- 07:19 से 09: 03 बजे तक
संक्रांति स्नान- प्रात: काल, 15 जनवरी 2020
वाहन/वस्त्रादि- इस वर्ष मकर-संक्रांति का वाहन खर (गर्दभ) होगा तथा उपवाहन मेष होगा। इस वर्ष मकर-संक्रांति श्वेतवस्त्र व भूर्जपत्र कंचुकी, केतकी पुष्प व प्रवाल भूषण धारण किए हुए दण्डायुध व कांस्यपात्र हाथ में लिए पकवान् भक्षण करते हुए पश्चिम दिशा की ओर जाति हुई होगी।

इस वर्ष संक्रान्ति मृतिका लेपन किए हुए व पक्षी जाति की होगी। इसके फ़लस्वरूप मंहगाई में वृद्धि होगी। तेल की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी होगी। युद्ध की आशंका से तनाव होगा। राजनीतिक उथलपुथल होगी।

शंका समाधान- कुछ पंचांग एवं विद्वानों के अनुसार मकर-संक्रांति पर्व 14 जनवरी को होना बताया जा रहा है जिससे जनसामान्य में भ्रम की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए हम यहां कुछ तथ्य स्पष्ट कर रहे हैं जिससे जनमानस को मकर-संक्रांति पर्व का निर्णय लेने में सुगमता होगी।

सूर्योदयकालीन तिथि की ग्राह्यता-

हमारे शास्त्रों में जिन व्रतों व पर्वों में दिन में पूजा, व्रत, स्नान व अनुष्ठान होता है उनमें सदैव सूर्योदयकालीन तिथि ही ग्राह्य होती है। 14 व 15 जनवरी को पंचांग अनुसार सूर्योदय का समय 7 बजकर 31 मि. पर है। जबकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की मध्यरात्रि 1 बजकर 55 मि. पर होगा। अत: सूर्योदय के समय सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी को होंगे।

14 जनवरी की मान्यता क्यों?

पंचांग के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की मध्यरात्रि 1 बजकर 55 मि. पर होगा। इस आधार ईसवी कैलेंडर के अनुसार रात्रि 12 बजे से 15 जनवरी होगी किन्तु ज्योतिष शास्त्र व पंचांग की गणना सूर्योदय से अगले सूर्योदय 1 दिन (अहोरात्र) की होती है। अत: पंचांग के सिद्धांत अनुसार 14 जनवरी को प्रात: 7 बजकर 31 (सूर्योदयकाल) से 15 जनवरी को 7 बजकर 31 मि. (सूर्योदय) काल तक एक ही दिन माना जाएगा एवं 15 जनवरी को सूर्योदयकालीन सूर्य के मकर राशिगत होने से पंचांग अनुसार 14 जनवरी को अहोरात्र की संज्ञा देते हुए कुछ पंचांग व विद्वान 14 जनवरी को मकर-संक्रांति होने का निर्णय दे रहे हैं जो मूलत: पंचांग आधारित है, ईसवी कैलेंडर के अनुसार मकर-संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2020 को ही मनाया जाना शास्त्रसम्मत है।
मकर संक्रांति का महत्व-
माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी भूलाकर उनके घर गए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है। इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है। इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है

15 जनवरी दिन बुधवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और शोभन योग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा।

सूर्य के उत्तरायण होने से मनुष्य की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।

भगवान सूर्य शनिदेव के पिता हैं।

सूर्य और शनि दोनों ही ग्रह पराक्रमी हैं। ऐसे में जब सूर्य देव मकर राशि में आते हैं तो शनि की प्रिय वस्तुओं के दान से भक्तों पर सूर्य की कृपा बरसती है।

इस कारण मकर संक्रांति के दिन तिल निर्मित वस्तुओं का दान शनिदेव की विशेष कृपा को घर परिवार पर होती है।

मकर संक्रांति के दान का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को अन्न , कपड़े, आदि दान करें।

गाय की सेवा करें।

मकर संक्रांति पर क्या न करें

मकर संक्रांति के दिन पेड़ पौधों को नुकसान न पहुंचाएं।
हरी सब्जियां फल आदि का सेवन भी ना करें।
फुल पत्तिया आदि ना तोड़े ।
तुलसी को भी नुकसान न पहुंचाएं ।
मकर संक्रांति के त्योहार पर घर के बड़ों का अपमान न करें ।

मकर संक्रांति के दिन काले रंग के वस्त्र धारण न करें ।
मकर संक्रांति के दिन तामसिक भोजन, लहसुन, प्याज , जमीकंद, आदि का सेवन न करें।
मद्यपान ना करें ।

किसी भी गरीब अथवा पशु को दान करते समय दुर्भावना मन में ना लाएं। पुराना और बासी भोजन दान न करें।
मन्त्र जप , तप , गुरु दर्शन , मांगलिक श्रवण , देव दर्शन , अनुष्ठान आदि करे।

पंडित मुकेश गौड़, जयपुर

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