मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के कुनबे में कलह के समाचार हैं । कलह की वजह मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र आरके मिगलानी की बैठक व्यवस्था मुख्यमंत्री सचिवालय में बनाए जाने को लेकर रही ।
मध्यप्रदेश में सत्ता के हस्तांतरण में बाद नई सरकार और नए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने साथ जुड़े लोगों की अहम पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी । मुख्यमंत्री सचिवालय में संविदा नियुक्ति के तहत सीएम अपने करीबियों को सत्ता में भागीदार बना रहे है। राज्य सरकार ने राजेन्द्र कुमार मिगलानी को मुख्यमंत्री के सलाहकार के पद पर पदस्थ किया गया है।
गौरतलब है कि आर के मिगलानी बरसों से कमलनाथ के समस्त राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते आए हैं । राजनीतिक हलकों में कहा जाता है कि मिगलानी कि किसी भी बात को कमलनाथ काटते नहीं है ।आर के मिगलानी पिछले 47 वर्षों से कमलनाथ के साथ साये की तरह रहते हैं। अभी पिछले दो साल पहले ही बायपास सर्जरी हुई है लेकिन वे शारीरिक रूप से मजबूत होने के कारण आज भी कमलनाथ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं।
इधर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव रहे अशोक वर्णवाल को कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने निरंतर बनाए रखने का फैसला कर लिया । गौरतलब है कि वर्णवाल पूर्व में कमलनाथ के साथ केंद्रीय मंत्रालय में काम कर चुके हैं । इसलिए यह माना जा रहा है कि वर्णवाल भी कमल नाथ के विश्वस्त है । जब कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो मिगलानी भी मुख्यमंत्री सचिवालय में आमद देने लगे । मुख्यमंत्री सचिवालय में मुख्यमंत्री से सटे एक कक्ष को लेकर मिगलानी और वर्णवाल के बीच लकीरें खिंच गई । बताया जाता है कि प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल के कक्ष पर मिगलानी की नजर थी लेकिन मिगलानी को वह कक्ष मिल नहीं सका । बाद में कुछ दिन तो मिगलानी एक छोटे से कक्ष से अपना काम चलाते रहे लेकिन कार्य में असुविधा को देख कर मिगलानी ने अपने कक्ष को बड़ा और सुविधाजनक बनाने के लिए सीपीए के अधिकारियों को निर्देश दे डालें । सीपीए अधिकारियों के काम शुरू करते ही बर्नवाल नाराज हो उठे और उन्होंने सी पी ए के अधिकारियों को जमकर फटकार भी लगाई । जिसके बाद सी पी ए ने मिगलानी से उक्त कार्य किए जाने को लेकर असमर्थता जता दिया । मिगलानी ने इस बात को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ से चर्चा की। सूत्रों के अनुसार कमलनाथ ने बर्णवाल के इस रवैए पर नाराजगी जताई । जिसके बाद रातों-रात महज बारह घंटे के भीतर मिगलानी को सुसज्जित कक्ष तैयार कर दे दिया गया।
इस कलह के कुछ दिन बाद ही मिगलानी ने मुख्यमंत्री के ओएसडी पद से इस्तीफा दे दिया । सूत्रों के अनुसार इसकी वजह आगामी लोकसभा चुनाव और छिंदवाड़ा विधानसभा का उपचुनाव है । मिगलानी मैनेजमेंट के धनी माने जाते हैं और ओएसडी रहते हुए वे छिंदवाड़ा में राजनैतिक कार्य को अंजाम नहीं दे सकते इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया।