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वो माँ होती है : मदर्स डे स्पेशल

सनश्रुति साहू

*मां*

मन्ज़िल नहीं जो हो ज़िन्दगी का ज़ायका

वो मां होती है

मक्सद नहीं सांस लेने की जो हो वजह

वो मां होती है

लफ़्ज़ के दायरे में जो न सिमटे
वो मां होती है

हरकत की आड़ में छिपे समझे जो जज़्बात

वो मां होती है

खुदा से पहले हो जो शक्स सजदे में

वो मां होती है

तुम्हें तुम से बेहतर जो पढ़ ले

वो मां होती है

ना में छिपे हां और हां में छिपे ना जो जान ले

वो मां होती है

सर्द हालात को अलाव बन सुलगा दे जो

वो मां होती है

उम्मीद का समंदर भरोसे का आसमां जिसके पास

वो मां होती है

जिसकी बाहों में हो सुकून का डेरा

वो मां होती है

मुस्कान जिसकी तमाम शोहरत से कीमती

वो मां होती है

दुनियादारी के दुसरे छोर पर जो बसाये दुनिया अपनी

वो मां होती है

ज़माना हो जब खिलाफ़ तब पहनाये जो हिम्मत का लिहाफ़

वो मां होती है

 

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