‘आछे दिन पाछे गए, हरि से किया न हेत – अब पछताए होत क्या, चिड़िया चुग गयी खेत ‘ – भारी पड़ा महाराज को हल्के में लेना, सरकार गिरने के डर से रातों रात अधिकारियों के भी बदले सुर, जिन नेताओं के फोन भी नहीं उठा रहे थे उन्हें खुद फोन कर दे रहे होली कि बधाई
डॉ सौरभ माथुर
भोपाल। सत्ता भी क्या चीज़ है, अच्छे अच्छे का ईमान डोल जाता है और अच्छे अच्छे को गुमान हो जाता है।
कमलनाथ का सिंधिया को हल्के में लेना इतना भारी पड़ेगा ये ख़ुद कमलनाथ ने भी नहीं सोचा था और राहुल के दाहिने हाथ कहे जाने वाले सिंधिया मन इतना खट्टा हो जाएगा इसका अंदाज़ा कांग्रेस लगा ही नहीं पाई।
विश्वसनीय सूत्रों की माने तो अगले 48 घंटो में मध्य प्रदेश में अगर भाजपा आई तो सारे आंकड़े बदल जाएंगे, खास तौर से यदि सिंधिया अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में पहुंच गए जो की सूत्रों के हिसाब से ‘ गए ‘ तो कांग्रेस के लिए एक बहुत बड़ा सबक हो जाएगा।
यदि ऐसा हुआ तो राजस्थान में भी गहलोत सरकार को निर्दलीय और बसपा वाले विधायकों को तुरंत एहतियातन मंत्री बनाना पड़ेगा क्योंकि ऐसा रिस्क अशोक गहलोत नहीं लेंगे।
आने वाले 48 घंटे प्रदेश और देश की राजनीति चंद्रमा के कलाओ की तरह करवट बदलेगी और बड़े बड़े दिग्गज पूर्णिमा तक सो नहीं पाएंगे।
मौजूदा सरकार के मंत्री तो इतने घबरा गए की चार दिन पहले ही अपने स्टिफों की पेशकश सीएम को कर चुके की साहब चाहे हमें मंत्री रखो न रखो लेकिन सरकार बचा लो वरना मंत्री पद के लालच में कहीं सत्ताधारी पार्टी की विधायकी रौब भी चला जाए।
16 फरवरी को कमलनाथ का सिंधिया को जवाब की ‘सड़क पर उतरना हैं तो उतरे’ उन्हें इतना भारी पड़ जाएगा ये उन्हें खुद नहीं मालूम था, उस समय यदि नाथ महाराज की नाराज़गी को ठीक से हैंडल कर लेते तो शायद कभी ये नौबत आती ही नहीं, लेकिन क्या करें, सत्ता का नशा है ही कुछ ऐसा की अच्छे अच्छों को गुमान करा देता है।
हालांकि आने वाले समय के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं कहा जा सकता क्यूंकि कमलनाथ भी कच्चे खिलाड़ी नहीं है लेकिन सिंधिया तराजू का एक ऐसा बाट हैं कि जिसके पलड़े में भी पड़े उसे बहुत भारी कर देंगे।
डॉ सौरभ माथुर
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