एक दिन पहले भाजपा नेता के नेम प्लेट लगी शराब और शराबियो से भरी लग्जरी कार पकड़ी, दूसरे ही ही दिन टी आई का ट्रांसफर, शराब के नशे में धुत्त नेता के आदमियों ने थाने में मचाया ऐसा तांडव की राजनीति को भी शर्म आ जाए
बड़वानी। 25 मई को मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में एक ऐसा कांड हुआ जिससे बाले बाले दबा दिया गया, बड़वानी जिला भाजपा अध्यक्ष ओम सोनी के नेम प्लेट लगी एक सुजुकी सियाज गाड़ी जिसमें शराब की एक दर्जन बोतलों के साथ तीन शराबी जो पूरी तरह से नशे में धुत थे पुलिस की चेकिंग में पकड़े गए और जिन्होंने थाने जाने के बाद थाना अधिकारी के सामने ऐसा तांडव किया जिसे देखकर राजनीति और प्रशासन दोनों को शर्म आ जाए।
असल में बड़वानी जिला अध्यक्ष ओम सोनी के नेम प्लेट लगी एक लग्जरी कार को हाईवे पर उस वक्त रोका गया जब राजपुर थाने में पदस्थ एक निरीक्षक व उसकी टीम को एक संदिग्ध गाड़ी मिली , उन्होंने रोका जिसमें 3 लोग नशे में धुत पाए गए अथवा गाड़ी की तलाशी लेते वक्त गाड़ी में करीब एक दर्जन बीयर की बोतलें पाई गई. तीनों शराबी नशे में इतना धुत्त थे कि अनाप-शनाप बके जा रहे थे, उसी गाड़ी पर जिला अध्यक्ष भाजपा बड़वानी की नेमप्लेट भी लगी हुई थी, चूँकि पुलिस को यह मालूम था कि मामला हाईप्रोफाइल है तो उन्होंने पूरे मामले की हाथों-हाथ वीडियोग्राफी करवाई अथवा बमुश्किल नशेड़ी मौके पर मौजूद जीप में डालकर थाने लाए, उसके पश्चात थाना अधिकारी अनिल बामणिया के सामने उन नशेड़ियों ने ऐसा ड्रामा किया जो देखने लायक है।
आश्चर्य की बात यह है कि जब गाड़ी की जिला अध्यक्ष लिखी हुई नेम प्लेट कोई उसी दरमियानी रात तोड़ गया जिस रात गाड़ी जप्त हुई थी, अब सवाल यह है वह कौन सा बदमाश है जिसे थाने में खड़ी एक गाड़ी की नंबर प्लेट चुराने में फायदा दिखा और वह नंबर प्लेट भी वह पूरी नहीं ले जा पाया बल्कि उसे तोड़ गया?
इस घटना के अगले ही दिन जब मीडिया ने जिलाध्यक्ष ओम सोनी से इस बारे में बात की तो उन्होंने साफ कह दिया कि गाड़ी मेरे नाम से रजिस्टर्ड नहीं है और मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है, तो ऐसे में उस गाड़ी पर लगी नेम प्लेट को तोड़ना क्या थोड़ा संदिग्ध नहीं है ?
मीडिया को इस मामले से कोई नाता नहीं होने की बात साफ करने के अगले ही दिन थाना अधिकारी को थाना राजपुर को ट्रांसफर कर इंदौर भेजने का आर्डर आ गया।
बड़े ही आश्चर्य की बात है की वह थाना अधिकारी जिसके स्टाफ ने वह गाड़ी रोकी और जिस भाजपा नेता की नेमप्लेट थी उसने पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया ठीक उसके अगले ही दिन एक सिंगल आर्डर निकला जिसमें उस थाना अधिकारी का ट्रांसफर वहां से कर दिया गया, क्या यह संजोग हैं यह सच में उस मामले से भाजपा नेता का कोई ना देना था?
सूत्रों की ओर से आ रही जानकारी में बड़े गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, कि क्या कोई शराब तस्करी से भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष का कोई लेना-देना है ? और क्या किसी ईमानदार पुलिस वाले को अपनी ड्यूटी निभाने की सजा मिलना क्या उचित है? क्या प्रदेश का कोई भी पुलिस उच्च अधिकारी इस थानाधिकारी के बचाव में नहीं आया?
क्या इस मामले को माफिया को बढ़ावा देने वाले मामले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए?
पूरे मामले पर सभी ने चुप्पी साध रखी है लेकिन अब देखना यह है की ऐसी कितनी गाड़ी अब इस घटना के बाद नाके पर लगे हुए निरीक्षक, सब इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर, उच्च अधिकारियों को छोड़नी पड़ेगी क्योंकि नेताओं ने एक ऐसा उदाहरण पेश कर दिया जिसे देख कर अब सब डरेंगे।