ऐसे मनाया स्वतंत्रता दिवस और राखी की जिसने भी देखा मंत्रमुग्ध हो गया, देश के सामने भाइयों ने शहीद की विधवा बहन को पैसे इकट्ठा कर बनवा के दिया 11 लाख का मकान, आग्रह पर बहन नें भाइयों के हथेलियों पर चलके किया गृह प्रवेश, पति की शहादत के बाद 27 साल रही टूटे फूटे कच्चे घर में : नए हिंदुस्तान का नया चेहरा
इंदौर – रक्षा बंधन पर देपालपुर क्षेत्र के युवाओं ने शाहिद की पत्नी से राखी बंधवाई उपहार में बना कर दिया 11 लाख रु का मकान भाइयों के हाथ पर चल कर किया बहन ने गृह प्रवेश ।
किसी भी देश के लिए उसकी स्वतंत्रता का दिन बढ़ा ऐतिहासिक दिन होता है, वही आज 15 अगस्त के दिन रक्षाबंधन भी मनाया गया जो कई सालों बाद संयोग बना 15 अगस्त और रक्षाबंधन का यह संयोग किसी के लिए नई छत और चेहरे की मुस्कान लेकर आया सेना के जवान मातृभूमि के लिए अपनी जान भी निछावर कर देते हैं , पर कई बार मातृभूमि पर जान न्योछावर कर देने वाले शहीदों का परिवार गुमनामी और लाचारी की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाता है, ऐसे ही एक शहीद परिवार के चेहरे पर देपालपुर क्षेत्र के युवाओं का एक प्रयास मुस्कान लेकर आया।
दरअसल 27 सालों से शहीद का परिवार कच्चे टूटे-फूटे मकान में रहने को हो रहा था। मजबूर क्षेत्र के युवाओं ने बीड़ा उठा कर 1 वर्ष में पक्का मकान बनाकर शहीद की पत्नी व उसके परिवार को आज उपहार दिया, जो काम शासन-प्रशासन को करना चाहिए था वह काम कर ग्रामीण युवाओं ने वो मिसाल पेश की है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है, सीमा सुरक्षा बल के एक जवान मोहन लाल सुनेर निवासी पिरपीपलिया सरहद पर सत्ताइस बरस पहले देश की रक्षा करते हुवे शहीद हो गए थे, शहीद का परिवार झोपड़ी में गुजारा कर रहा था। मजदूरी कर के अपना पेट पाल रहा था, जब क्षेत्र के युवाओं को पता चला तो उन्होंने वह चेक वन साइन एक अभियान शुरू किया और देखते ही देखते 11 लाख रुपए जमा कर लिए इससे मकान तैयार हो गया और पिछले वर्ष की भांति युवाओ ने इस वर्ष भी शहीद की पत्नी से राखी बंधवाकर उन्हें रक्षाबंधन के उपहार स्वरूप नये भवन की चाबी उन्हें सौंप दी।
वहीं आज शहीद पत्नी ने नए भवन में गृह प्रवेश किया ग्रह प्रवेश का दृश्य देखकर हर कोई भावविभोर था बहन ने भाइयों के हाथों पर पैर रखकर घर में प्रवेश किया, भाइयों ने बहन को गृह प्रवेश कराने के लिए हाथ डेली के आगे बढ़ाएं और बहन भाइयों के आग्रह पर हाथों पर पैर रखकर घर के अंदर तक प्रवेश किया।
देपालपुर तहसील के बेटमा के पीर पीपल्या गांव के मोहन सिंह बीएसएफ में थे असम में पोस्टिंग के दौरान वे 31 दिसंबर 1992 में शहीद हो गए थे। उनका परिवार तब से ही कच्चे मकान में रह रहा था, उनकी हालत देख कुछ युवाओं ने ‘वन चेक-वन साइन नाम से अभियान शुरू किया अभियान के सयोजक विशाल राठी ने बताया कि 1 वर्ष पूर्व जब शहीद के गांव गए तो उनका मकान देखकर काफी दुख हुआ कि जो व्यक्ति देश हित में शहीद हुआ है उसका परिवार आज टूटी फूटी झोपड़ी में रह रहा है। उस टिस को मन में लेकर एक अभियान छेड़ा गया जिसमें शहीद के परिजनों को पक्का मकान बनाने के लिए लोगों से सहयोग मांगा गया और लोगों ने देखते ही देखते दिल खोलकर 11 लाख रुपए दान में दे दिए जिससे शहीद के परिजनों के लिए सर्व सुविधा युक्त पक्के मकान का निर्माण किया गया ओर शाहिद की पत्नी को रक्षा बंधन पर उस मकान में ग्रह प्रवेश कराया गया।
परिवार को किसी योजना का लाभ नहीं मोहन सिंह सुनेर जब शहीद हुए थे, उस वक्त उनका तीन वर्ष का एक बेटा था और पत्नी राजू बाई चार माह की गर्भवती थीं। बाद में दूसरे बेटे का जन्म हुआ पति की शहादत के बाद दोनों बच्चों को पालने के लिए पत्नी ने मेहनत-मजदूरी की झोपड़ी में ही परिवार गुजारा कर रहा था। टूटी-फूटी छत पर चद्दर। बांस-बल्लियों के सहारे जैसे-तैसे खड़ा हुआ ये विडंबना ही कही जाएगी कि परिवार को आज तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया।
स्कूल का नामकरण भी करेंगे राठी के मुताबिक शहीद के परिवार के लिए दस लाख रुपए में घर तैयार हो गया इसके साथ ही एक लाख रुपए मोहन सिंह की प्रतिमा के लिए रखे हैं। प्रतिमा भी लगभग तैयार है इसे पीर पीपल्या मुख्य मार्ग पर लगाएंगे इसके साथ ही जिस सरकारी स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की है, उसका नाम भी उनके नाम पर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं अभियान से जुड़े सोहन लाल परमार ने बताया की अभियान मेंबेटमा ,सांवेर,गौतमपुरा ,पीथमपुर ,सागौरकनाडिया ,बड़नगर ,हातोद ,आगरा तथा महू क्षेत्र के लोगो ने सहयोग किया।