कहीं ताई भाई के झगड़ों में इंदौर की चाबी कमज़ोर हाथों में तो नहीं चली गयी ?
इंदौर। भारतीय जनता पार्टी के टिकट वितरण ने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र से भारतीय जनता पार्टी लंबे समय तक दूरी बना सकती है।
इंदौर जैसी महत्वपूर्ण सीट पर एक ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया गया है जिसकी नगर में अथवा ग्रामीण क्षेत्र में पकड़ कमज़ोर महसूस होती है।
लालवानी पर पाकिस्तान से आये एक विशेष समाज के लोगों को मात्र 100 रुपये में नागरिकता दिलाने के गंभीर आरोप पूर्व में लग चुके हैं तो क्या पार्टी उस ‘विशेष वर्ग’ का वोट बैंक ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया ?
यदि हाँ तो शायद संगठन को ये मालूम नहीं है कि वो विशेष वर्ग के विरोध में इंदौर शहर के हज़ारों व्यापारी हैं जो उस विशेष वर्ग द्वारा पूरे बाजार पर कब्ज़ा करने से खासे नाराज़ है और कहीं ये टिकट उस नाराज़गी को ईवीएम पर न उतारदे।
8 बार से इंदौर की सीट पर कब्जा किये बीजेपी इतनी आसानी से इंदौर संसदीय सीट कांग्रेस की झोली में डाल देगी उम्मीद नही थी। इंदौर बीजेपी के कई कद्दावर नेता इस निर्णय से दुखी है।
सूत्रों से तो यहाँ तक खबर मिली है कि इंदौर की जनता जो वर्षो से bjp पर विश्वास कर अपना कीमती वोट bjp को दे रही थी उनकी भावनाओं को बड़े महंगे भाव मे बेच दिया गया है और इस सौदे के बाद इंदौर की जनता बीजेपी पर अब शायद विश्वास न करे।
सूत्रों से पता चला इंदौर से बीजेपी का टिकट होते है कांग्रेस उम्मीदवार पंकज संघवी को बीजेपी नेताओं के साथ इंदौर के बुद्धिजीवियों के बधाई फ़ोन आने शुरू हो गए है।