क्या 15 साल की शिवराज सरकार पर आज भी भारी है 15 महीन की कमलनाथ सरकार ?
अशोक रघुवंशी
15 महीने की कमलनाथ सरकार में जनभावनाओं को सर्वपरि रख जो निर्णय लिए गए वो निर्णय कमलनाथ को राजनीतिक अमरत्व दे गए।
किसानो की ऋण माफी हो, भुमाफियाओ पर कार्यवाही हो,या कानून व्यवस्था हो,बिजली बिल में रियायत हो सब मे जनता की कसौटी पर खरी उतरती दिखीं कमलनाथ सरकार। अपनी निर्णय क्षमताओं ओर व्यस्तताओ के चलते 15 महीने में मध्यप्रदेश के इलेक्ट्रॉनिक न्यूज़ चैंनलों पर भी कम ही नजर आए कमलनाथ और अधिकारियों को भी नियमानुसार कार्य करने पूर्ण स्वतंत्रता थी,अधिकारियों को बार बार मीडिया में आकर आदेशित करते नहीं दिखे कभी कमलनाथ ।
क्या प्रदेश में महामारी के रोज बढ़ते मामले एक बार फिर जनता को सोचने पर मजबूर कर सकते हैं ?
इस महामारी में प्रदेश की मेडिकल स्तिथि को देख कर ऐसा लग रहा है कि 15 साल के कार्यकाल में शिवराज सरकार का पूरा स्वास्थ्य मंत्रालय ही वेंटिलेटर पर था। कितनी गरीब जनता ने आंखे गवाई कितनो की इलाज के अभाव में जान गई ये किसी से छिपा नही है। किसानों के हालात भी किसी से छुपे नही थे,.आज मध्यप्रदेश का कोई भी न्यूज़ चेंनल खोल लीजिये दिनभर खबरे कम मामा ज्यादा दिखाई दे रहे है।
अधिकारियों कर्मचारियों पर अविश्वसनीयता कही न कही उनका मनोबल गिरा रही है या यूं समझे एक बार फिर सिक्को की सिर्फ आवाज सुना गरीबो को खुश करने का हुनरबन्द कलाकार ने अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदीजी के नाम से कब तक प्रदेश की जनता ये खेल देख पाती है ये तो वक्त बताएगा लेकिन प्रदेश की जनता एक बार फिर से रोज बार बार न्यूज़ चेंनलो पर पुराने चेहरे देख एक अलग ही पीड़ा से गुजर रही है,जिसका नुकसान भारतीय जनता पार्टी को आने वाले दिनों में उठाना पड़ सकता है।