जयपुर, 12 जनवरी। जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी ने बुधवार को राजभवन में राज्यपाल श्री कलराज मिश्र से मुलाकात कर उनसे राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार की सहभागिता पर आधारित जल जीवन मिशन (जेजेएम) में राजस्थान को 90:10 के अनुपात में फंडिंग दिलाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का आग्रह किया।
डॉ. जोशी ने इस सम्बंध में राज्यपाल श्री मिश्र को अवगत कराया कि स्वयं उन्होंने (राज्यपाल) भी गत दिनों राज्यपाल सम्मेलन में राष्ट्रपति के समक्ष राजस्थान की जनता के हितों की पैरवी करते हुए इस मुद्दे को उठाया था। वहीं मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत एवं राज्य सरकार के स्तर से भी केन्द्र सरकार का इस मुद्दे पर बराबर ध्यान आकर्षित किया जा रहा है, मगर इसके बावजूद केन्द्र सरकार ने अभी तक इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने बताया कि जेजेएम में केन्द्र सरकार द्वारा उत्तर-पूर्वी राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों सहित अनेक सूबों को 90:10 अनुपात या इससे भी अधिक राशि प्रदान की जा रही हैं।
जलदाय मंत्री ने राज्यपाल को इस मसले पर विस्तृत जानकारी देते हुए एक पत्र भी सौपा। पत्र में बताया गया है कि जेजेएम के अंतर्गत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सभी परिवारों को वर्ष 2024 तक ‘हर घर नल कनेक्शन‘ के माध्यम से स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। जेजेएम में प्रदेश के कुल 43200 गांवो में लगभग 89 लाख परिवारों को नल कनेक्शन दिये जाने हैं। अगस्त 2019 से जल जीवन मिशन प्रारम्भ होने से आज दिनांक तक 32709 गांवों के लिए 80 लाख से अधिक हर घर नल कनेक्शन जारी किये जाने हेतु स्वीकृतियॉ उपलब्ध हैं, जिन पर रूपये 53979 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। मिशन के तहत अब तक 10 लाख से अधिक परिवारों को हर घर नल कनेक्शन की सुविधा प्रदान की जा चुकी हैं।
डॉ. जोशी ने राज्यपाल श्री मिश्र को अपने पत्र में अवगत कराया कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति एक कठिन दौर से गुजर रही हैं। ऐसे में केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं को पूरा करने के लिये भी राज्य सरकार को काफी कठिनाई आ रही है। उन्होंने बताया कि देश के सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला प्रदेश होने के साथ ही राजस्थान का 60 प्रतिशत भूभाग रेगिस्तानी हैं। अधिकांश आबादी दूर-दूर छितराये गांव व ढाणियों में बसी है, वहीं राजस्थान देश का न्यूनतम वर्षा वाला प्रदेश भी है। विशेष कर पश्चिम राजस्थान में औसत वर्षा स्तर अत्यधिक कम होने के कारण इस क्षेत्र में सतही जल का अभाव है एवं भू-जल की कमी के साथ अधिकांश भाग में गुणवता युक्त पेयजल उपलब्ध नही हैं। इसी कारण अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में पेयजल योजनाओं की लागत बहुत अधिक आती है और जल जीवन मिशन के अंतर्गत लक्ष्य प्राप्ति में राज्य सरकार को अत्यधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा हैं।