देश को नरेंद्र मोदी की आवश्यकता,अमित शाह अपने आप को हाईकमान समझते हैं, वो अपने निर्णय पार्टी पर थोपते हैं
इंदौर से सुमित्रा महाजन का टिकट नहीं बदला तो इंदौर से निर्दलीय चुनाव लडूंगा - राष्ट्रीय कवि, पूर्व विधायक इंदौर श्री सत्त्यनारायण सत्तन
इंदौर –
लोक सभा चुनाव नज़दीक आने का बिगुल आज राष्ट्रीय कवी , भाजपा के पूर्व विधायक व वरिस्ठ नेता श्री सत्यनारायण ‘सत्तन’ जी ने बजा दिया।
हमारे विशेष कार्यक्रम ‘ख़ास मुलाकात’ में उन्होंने हमारे संपादक डॉ सौरभ माथुर से खुलकर चर्चा की और हर सवा का बहुत बेबाक जवाब दिया। सत्तनजी ने कहा की भारतीय जनता पार्टी के पास कार्यकर्ताओ की एक विशाल सेना हे और उस विशाल फौज के बलबूते पर ही पार्टी अभी तक सफलता अर्जित करती आ रही थी।
बीजेपी के पुरानी लाइन के नेता सुध बुध लेते थे और अभी तक की सफलता पार्टी की इस परिपकवता का परिणाम हे।
सत्ता में आते ही कार्यकर्ताओ की अनदेखी की गयी ,कार्यकर्ताओ के सुख दुःख से कोई वास्ता न रखते हुए कार्यकर्त्ता को सिर्फ उपयोग की वास्तु बना के रख दिया गया, ३ राज्यों में हार इसी व्यवहार का परिणाम है।
जब उनसे पूछा गया लोकसभा चुनाव में २९ सीटों में से बीजेपी कितनी सीट जीत रही है ? उन्होने दावा किया की
‘बीजेपी २९ ही सीट जीत सकती हे अगर संघटन अपने विवेक को साधकर पार्टी के कर्मनिष्ट कार्यकर्ताओ को जनता के बिच भेजे और अगर संघटन में बैठे लोगो ने श्रय और प्रय की राजनीती करने वाले लोगो की सुनी की ये मेरा प्रिय हे इसको टिकट दे दो ये मेरा अपना हे इसके जितने से मेरा कद बढ़ जायेगा अगर संघटन ने ये श्रय और प्रेय की राजनीती को दृश्टिगत करते हुए टिकट का वितरण किया तो चुनाव का परिणाम गड़बड़ होना निश्चित हे’
यथा स्तिथि बने रहने पर कितनी सीटें आ सकती है ? इसके जवाब में उन्होंने बताया की :-
एक ही फिल्म को बार बार की आदत जनता की मन से गुजर चुकी हे और एक ही टॉकीज में एक ही फिल्म बार बार चलेगी तो टिकट की बिक्री पर तो असर आएगा ही।
पार्टी में अमित शाह जी के निर्णयों पर पार्टी के अंदर सवाल उठने लगे है इस सवाल के जवाब में सत्तन जी ने कहा की
देश को नरेंद्र मोदी जी की आवश्यकता है , रहा प्रश्न अमित शाह जी का तो वो अपने आप को हाई कमान समझते हे अपने सहयोगियों की राय को दरकिनार कर अपनी राइ थोपते है। प्रजातंत्र में ये संभव नहीं होता, ये व्यवहार तानाशाही का स्वरूप है।
अमित शाह अपनी रीती निति को बिना संशोधन के प्रस्ताव में लागु करने के लिए जाने जाते है और ये ही परिणाम हे उस रीती निति से कार्यकर्त्ता जब असंतुष्ट होता हे तो वो मन वचन और कर्म की एकाग्रता से उस दिए हुए कार्य का निर्वाह करने में अपने आप को असमर्थ पाता हे।
हमने अगले सवाल में पुछा की बीजेपी संघटन के शीर्ष नेतृत्व को अपनी कार्य शैली बदलनी पड़ेगी ?
इस पर सत्तन जी ने कहा की शीर्ष नेतृत्व का तो ये हल हे की जो शीर्ष नेतृत्व में आते थे आडवाणी जी वो बहुत ही निचे की स्थिति में आकर खड़े दिखाई देते हे। उनके कोई तवज्जो नहीं दी जाती। उनके तो नमस्कार को भी स्वीकार नहीं किया जाता। ये बात देख देख कर भी कार्यकर्ता के मन में भी शुब्दता का वातावरण पैदा होता है की जब एक महा योगी एक कर्मपूर्ण वीर पुरुष के साथ ये ऐसा व्यवहार क्र रहे हे तो मेरी ओकाद ही क्या है ? में तो साधारण कार्यकर्त्ता हु।
पिछले कुछ वर्षो में पार्टी में हुए बदलाव पर बोलते हुए सत्तन जी ने कहा की
हम जो कहते हे वो करते हे ये नारा हे भारतीय जनता पार्टी का इस नारे को सर्वथा उलट दिया गया हे अब जो कहा जाता हे वो किया नहीं जाता
अभी एक नियम बनाया था की जिसकी उम्र ७० साल की हो गयी हे वो सक्रीय राजनीती का हिस्सा नहीं रहेगा उसे टिकट नहीं मिलेगा। अब अपने कुछ प्यारे लोगो को ध्यान में रखते हुए उस नियम को बदल दिया गया।
आपके पास प्रतिभाओ की कमी नहीं हे भारतीय जनता पार्टी के पास योग्य कार्यकर्ताओ का विशाल भंडार है आप योग्य कार्यकर्ताओ को अवसर न देकर अन्य पार्टियों से आकर समाहित होने वाले कार्यकर्ताओ को अवसर देकर पार्टी के कार्यकर्ताओ के हको का षरण किया गया हको को मारा गया ये भी एक पार्टी की हर का कारन हे।
भारतीय जनता पार्टी जो कहती हे वो करती हे का नारा अटल बिहारी बाजपाई जी ने दिया था उसी का परिणाम है जो कहा वो कर के दिखाया।
इंदौर लोकसभा से सुमित्रा महाजन की दावेदारी पर उन्होंने कहा की श्रीमती सुमित्रा महाजन जी को जो पद मिला हुआ हे वो पद प्रजातंत्र की गरिमा का परिचायक हे।
आदरणीय सुमित्रा जी इंदौर शहर से सांसद हे और इंदौर की सांसद होने के नाते इंदौर की जनता को लोकसभा अध्यक्ष पद से कोई लेना देना नहीं हे इंदौर की जनता को तो सिर्फ अपने सांसद से लेना देना हे उनके पद के अनुसार तो संसद में देश के प्रधान मंत्री को भी उनसे पूछ क्र ही अपनी बात कहना पड़ती हे लेकिन इंदौर के हर एक मतदाता को उनके सामने खड़े होकर अपनी बात कहने का हक़ है । उसे किसी से अनुमति की आवश्यकता नहीं है
सुमित्रा जी के अलावा इंदौर में काबिल कार्यकर्ताओ की लम्बी लिस्ट हे जो इंदौर से संसद का चुनाव लड़ सकते हे लेकिन इंदौर के वरिष्ठ नेता कायर हे , सुमित्रा जी के सामने चुप बैठ जाते है । उनमे सत्य बोलने की ताकत नहीं है मुझे सत्य बोलने की आदत है
सुमित्रा जी कहती है वो इंदौर से 8 बार चुनाव जीत चुकी है तो सुमित्रा जी ने अपने नाम अपने बल अपने पराक्रम से चुनाव जीते है ? नहीं, वो चुनाव जीतती है तो कार्यकर्ताओ के बल, विक्रम और पराक्रम से। पिछली बार भी उन्होंने कहा था की ये मेरा आखरी चुनाव है लेकिन हर बार लोभ मोह उन्हें फिर चुनाव लड़ने को मजबूर कर देता है ।
भारतीय जनता पार्टी के पास राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय जैसा नेता हैं , प्रदेश में सबसे अधिक मतों से विधान सभा चुनाव जितने वाले रमेश मेंदोला हैं ,हर बार अलग अलग जगह से जितने वाली उषा ठाकुर हैं मालिनी गोड हैं। पूर्व महापौर उमा शशि शर्मा हैं , नेताओ की कमी नहीं है, इनमे से किसी को भी टिकट दे दो मुझे बोलने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
क्या किसी की कोई मोनो पाली है , किसी की कोई ठेकेदारी हे जो आप नियम बदल रहे हैं ? ऐसा कोई नियम है की हर बार उम्मीदवार सुमित्रा जी ही होंगी।
पार्टी की नजरो में ये जो धुंदलापन आया है इस मोतियाबिंद को दूर करो यथार्थ का साक्षात्कार करो यही मेरा कहना हे अगर ऐसा नहीं करते तो में उम्मीदवार हु में जनता का उम्मीदवार हु में सर्वहारा उम्मीदवार , बीजेपी के लाखो कार्यकर्ताओ का उम्मीदवार हु और चुनाव जरूर लडूंगा
इस पूरी चर्चा में सत्तन साहब का इशारा बिल्कुल साफ़ था की यदि अब अगर भाजपा ने कार्यकर्ताओं की अनदेखी की तो लोकसभा चुनाव में गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
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