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इंदौर

मैगनिफेशेंट एमपी की तैयारियों में लाखों गैलन पानी से धूल रहे शहर के फुटपाथ, घर के देवता लालाए बाहर के पूजे जाएं

इंदौर – घर के देवता लालाए बाहर के पूजे जाएं, हमारे बड़े बुजुर्ग यह कहावत कहते थे यह आज भी सही हो रही है। बरसों से राजनेता और राजनीतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए देश का राज्य का धन बेहिसाब बे फालतू लुटाती आ रही है। हम विगत कई वर्षों से देख रहे हैं देश में प्रदेश में विकास के नाम पर उद्योगों और उद्योगपतियों को आमंत्रित करते हैं ।लेकिन इस पर अरबों खरबों रुपए खर्च के बाद भी कोई परिणाम सामने नहीं आता है।
सिर्फ कागजों में ही दिखता है इतने एमओयू साइन हुए इतनी जमीन बांटी गई । कितने करोड़ों के इतने लाखों के उद्योग लगेंगे सिर्फ समिट के दौरान प्रेस विज्ञप्ति में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया में और आयोजक प्रायोजक के भाषणों में यह दिखता है। सुनाई देता है वह पढ़ा जाता है जमीन के ऊपर कोई विकास नहीं दिखाई देता है।
चाहे विगत 15 वर्षों की भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही हो या वर्तमान की कांग्रेस की कमलनाथ जी सरकार सिर्फ विकास के नाम पर निवेश के नाम पर सम्मिट कराने से विनिवेशको निवेशकों पर खर्च करने से कुछ नहीं होता है।
पहले उनमें विश्वास पैदा कीजिए कि वे प्रदेश में आएंगे तो उन्हें सरकारी लेतलाली और नियम कानून अधिकारियों के बाबू के टेबल के सामने खड़ा नहीं होना पड़ेगा और जो उन्हें सरकारी नियम कानून दिखाकर डराकर अपना उल्लू सीधा करते हैं।
एयरपोर्ट से लेकर सम्मिट स्थल तक सड़क के दोनों और रंग-बिरंगे झंडे और बैनर पोस्टर कट आउट लाइट लगाकर दीवारें रंगकर जेट्रीकेट लगाकर क्या दिखाना चाहते हैं या किसे दिखाना चाहते हैं कोई प्रदेश में आने वाला भी निवेशक नासमझ थोड़ी है यह देखकर सम्मोहित हो जाएगा बारातियों के स्वागत की तरह तैयारी। दूल्हा और उसके परिजन तो बाद में आते रहेंगे लेकिन बाराती एक ही बार बारात में आता है उसका स्वागत अच्छा होना चाहिए शायद इस थीम पर ही काम हो रहा है बरसो से आज तक।

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