ये पत्थरबाज़ कश्मीरी नहीं , इंदौर के वो लापरवाह लोग हैं जिन्होंने एक बार फिर घर आए ‘भगवान’ का तिरस्कार क़िया, पिछली बार थूक के जी नहीं भरा क्या ?
डॉ सौरभ माथुर
जनाब राहत इंदौरी साहब ने भी क्या ख़ूब कहा है –
नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं
आज फिर , शहर के ही कुछ लोगों ने , शहर ही कुछ लोगों पर पत्थर फैंकें , ये इसलिए अजीब नहीं की ये हो रहा है , ये इसीलिए अजीब है की ये इंदौर में हो रहा है।
ये वो इंदौर है जिसकी इच्छाशक्ति के आगे देश के सारे शहर हार मन गए , देश का सबसे साफ़ शहर का तमगा अभी भी , चौथी बार हमारे पास है , ऐसे शहर में , जो डॉक्टर जिहने हम भगवन कहते हैं , वो एक कोरोना संदिघ्द की जान बचाने और उसके परिवार, मोहल्ले वालों को संक्रमण से बचाने के लिए जब उसके मोहल्ले में गए तो उन्होंने इस बात पत्थर बरसा दिए , फिर क्या था , जान बचाने के लिए दौड़ पड़े सब।
ये पूरा वाकया शहर की पुलिस के सामने हुआ , मामले के अंत में उल्टा एक टी आई ही भीड़ को ‘ समझाते ‘ हुए नज़र आ रहें हैं।
सवाल इस बार ये नहीं की कुछ लोग सुधर नहीं रहे , सवाल ये है की क्या बाकि सब यूँहीं बर्दाश्त करते रहेंगे ? कोई किसी की भी जान से खेल लेगा और प्रशासन सिर्फ सम्झाएग ?
पूरे शहर की जान दांव पर लगाने वले उन लोगों पर जब तक कड़ी कार्यवाही नहीं होगी , देश के भगवान् यूँही गाली खाते और पीटते रहेंगे।