लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के चुनाव के लिए कांग्रेस बार-बार अनिर्णय की शिकार हो रही है।
बीकानेर। सरिता चौहान का नाम फाइनल होते-होते बार-बार रुका रहा है और इसकी वजह कांग्रेस में गोविंदराम मेघवाल का विरोधी गुट मुखर हो चुका है। मोटे तौर पर इस गुट को रामेश्वर डूडी से जुड़ा माना जा रहा है और इस गुट के प्रत्याशी के रूप में मदन मेघवाल को आगे किया गया है। जब से इस गुट को भनक मिली है कि बीकानेर लोकसभा के लिए सरिता चौहान का नाम तय है, दिल्ली तक दबाव बनाया जा चुका है। इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। चला है कि इस पूरे मामले में बीकानेर और नागौर सीट के प्रत्याशी का नाम उलझा हुआ है और रामेश्वर डूडी के समर्थकों ने दिल्ली में मजबूत घेराबंदी कर रखी है। इस घेराबंदी में उलझे कांग्रेस के बड़े नेता यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि राजस्थान में जाट राजनीति के कद्दावर नेता को दरकिनार करके फैसला कैसे किया जा सकता है।
हालात यह है कि दिल्ली में कंडीशनल-बार्गेनिंग का दौर शुरू हो चुका है और बीकानेर की राजनीति के लिए कभी भी कोई ऐसा फैसला भी सामने आ सकता है, जो चौंकाने वाला हो। पता चला है कि आलाकमान के पास कंडीशनल इस्तीफे भी पहुंचने शुरू हो गए हैं। हालांकि इस तरह के हालात की जानकारी मिलने के साथ ही कांग्रेस के नेता भी सक्रिय हो गए हैं, ताकि कांग्रेस को पूरी तरह से बैक-फुट पर जाने से रोका जा सके।