हनी ट्रैप मामले में मुख्य शिकायतकर्ता सस्पेंडेड और जाँच एसआईटी को, अपने पोलिटिकल एनकाउंटर के षड्यंत्र का आरोप लगाने वाली सरकार क्या सच में निष्पक्ष जाँच कराएगी या अंत में सीबीआई को ही कूदते देखेंगे सब ?
डॉ सौरभ माथुर
भोपाल। हनी ट्रैप मामले में आज एक बड़ा मोड़ आया , मामले को खोलने वाले नगर निगम इंदौर के अभियंता हरभजन सिंह को निलंबित कर दिया गया है , ये होना भी चाहिए था क्यूंकि जिस प्रकार एक सभ्य समाज में एक लोकसेवक को अपना आचरण रखना चाहिए उसके ठीक विपरीत हरभजन जीवन के ‘मज़े ले रहा था ‘ .
इस मामले की आगे की जाँच अब एसआईटी को दी जाएगी जिसकी कमान 1992 बैच के आईपीएस और सीआईडी प्रमुख श्रीनिवास वर्मा को दी गयी है , देखना ये होगा की इस एसआईटी का इस्तेमाल कितनी निष्पक्षता से होगा।
इस मामले में इंदौर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी पहले ही गेंद एक दूसरे के पाले में डालने के लिए लगे हुए थे क्यूंकि पूरा मामला हाई प्रोफाइल था , दबाव बहुत था और सबसे बड़ी मुश्किल ये की किसकी सुने और किसकी न सुने, ऐसे में एसटीएफ के साथ खींचतान की ख़बरें भी आती रहीं , बहरहाल इस इस पूरे मामले के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम यानि एसआईटी का गठन राज्य सरकार के आदेशों पर हुआ है जिसमें पहले से वो भाजपा पर मौजूदा सरकार का ‘पोलिटिकल एनकाउंटर’ करने के आरोप लगा रही है ऐसे में क्या गारंटी है की वो 15 साल बाद सत्ता में आये हुए अपने प्रतिनिधियों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं करेगी ?
जिस प्रकार से पूरा मामला मोड़ ले रहा है , उसे देखकर ये कहना कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी की आगे चलकर पूरे मामले की जांच सीबीआई को देदी जाए , यदि ऐसा हुआ तो मामले में कई ज़बरदस्त खुलासे हो सकते हैं , वो अफसर भी लपेटे में आएंगे जिन्होंने जांच में पक्षपात किया है, बहरहाल इस पूरा नाटक का पर्दा परत दर परत जितना खुलेगा उतनी ही गन्दगी सबके सामने आती चली जाएगी।