हमारी अमानतों में ख़यानतें वो दुश्मन के साथ करते रहे, वो मुग़ालतों में रह गए हम मुल्क वापिस ले आये
धरा 370 विशेष - 'कहना ही क्या' : डॉ रौरभ माथुर
5 अगस्त 2019. आज सुबह से ही सब की तरह मुझे भी लग रहा था की कुछ ‘अच्छा ‘ होने वाला है , इंतज़ार करते करते जैसे ही सुबह के 11 बजे , सदन में उस पल की शुरुआत हो गयी जिसका इंतज़ार पिछले 70 सालों से देश की जनता कर रही थी। पिछले 70 सालों में जिस मुद्दे को ख़त्म करने के नाम पर देशवासी वोट दे रहा है, उस देशवासी जिसे और किसी चीज़ से फर्क पड़े न पड़े लेकिन कश्मीर से पड़ता था , हर बार यही सोचता था की इस बार जिसे वोट दिया है वो ये मसला ज़रूर ख़त्म करेगा , मानो उसकी ये मुराद आज पूरी हो गयी हो।
जैसे ही सदन में स्पीकर महोदय ने आज बिल का ज़िक्र छेड़ा मैं समझ गया की आज पूरे देश के लिए कितना बड़ा दिन होने जा रहा है , जैसे जैसे समय बीतता गया तस्वीर साफ़ होती चली गयी और दोपहर से ही मैं सोचने लगा की बहुत सालों बाद मौका लगा है कश्मीर मुद्दे पर कुछ लिखने का क्यूंकि इससे पहले तो इस मुद्दे पर लिखने की इच्छा मेरे अलावा तक़रीबन हर पत्रकार की ख़त्म हो चुकी थी क्यूंकि भैंस के आगे बीन बजाते बजाते सब थक चुके थे।
खैर, घटनाक्रम ख़त्म होते होते रात हो गयी और उसके बाद तक़रीबन एक घंटा इस आर्टिकल की हेडलाइन सोचने में , सोचते सोचते एक शेर बन गया जिसे हेडलाइन के रूप में इस्तेमाल कर लिया, उम्मीद है आर्टिकल के अंत तक मेरे शेर की हर गिरह खुल जाएगी।
आज के पूरे घटनाक्रम से जो निष्कर्ष निकले उसे बिन्दुबद्ध तरह से समझाना चाहूंगा की आज का दिन ही क्यूँ , मोदी ही क्यों इत्यादि :
ये अभी नहीं होता तो कभी नहीं होता :
आज हर चैनल पर बहस देखि , सभी मुद्दे चर्चा में आ गए लेकिन एक बारीकी छूट गयी, इमरान खान के अमेरिका से आने के बाद मानों इस मामले में राकेट लग गया हो , उसके लौटने के कुछ ही दिन में सारा खेल ख़त्म हो गया।
वो इसलिए कि डोनल्ड ट्रम्प ने पूरी दुनिया के सामने कश्मीर मामले में ‘ऊँगली’ करने की अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी और जिसके बाद इमरान खान बल्लिया कूदते कूदते पाकिस्तान पहुचें, इन्हे ये लग गया की अब अमरीका बीच में बोलेगा तो फैसला हमारे पक्ष में भी हो सकता हैं और अगर नहीं तो और 10 -15 साल का बहाना मिल जाएग इसे खींचने का , तो अब कश्मीर की आग और भड़कानी चाहिए की पूरी दुनिया को लगे की कश्मीर जल रहा है और इंटरनेशनल हस्तक्षेप की ज़रूरत है इसीलिए अमरनाथ यात्रा पर हमले की ज़बरदस्त तयारी कर ली थी।
मोदी और उनकी टीम मामले की संजीदगी को बहुत अच्छी तरह समझ गए थे , उन्हें मालूम था की एक बार ट्रम्प ने हस्तक्षेप किया , उसके बाद कश्मीर मामले पर कोई भी फैसला लेना बहुत मुश्किल हो जाएगा और ऐसे में ना पाकिस्तान से छुटकारा मिलेगा और न ही अमरीका से दोस्ती निभा पाएंगे , इसीलिए पूरी टीम को इकठ्ठा कर मोदी और अमित शाह ने तुरंत तयारी करनी शुरू कर दी , और हाँ वादा भी कर रखा था देश की जनता से। तो अगर ये अभी नहीं होता तो शायद कभी नहीं होता।
कांग्रेस ने बड़ी ऐतिहासिक गलती की 370 बिल का विरोध करके :
पिछले दो केंद्र के चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस को सदन में बैठने की जगह तक नसीब नहीं हो रही थी , विशेष रूप से ये चुनाव जहाँ चौकीदार को चोर कहना इतना भरी पड़ा की पार्टी अध्यक्ष राजनीती में आई एक नई उम्मीदवार से हार गए।
मुझे लगा की अब शायद कांग्रेस को अपनी गलतियों का एहसास हो रहा होगा, उन्हें मालूम पड रहा होगा की देश की नब्ज़ उनके हाथ से फिसल चुकी है , उनके ही बड़े बड़े नेता दबी ज़ुबान में उन्हें समझा रहे थे की पिछले 20 सालों में भारत का वोटर युवा वोटर हो चूका है और आज उनके सामने वो सुनहरा मौका था जब वो अपनी छवि सुधारने का सबसे बड़ा दाव चल सकते थे , देश को दिखा सकते थे की विपक्ष का मतलब तार्किक रूप से सही और गलत पर आवाज़ उठाना है न की हर बात का विरोध करना, चाहे वो बात देश हित की क्यू न हो , देश हित में सही को सही कहना ही सच्ची और अच्छी राजनीति होती है लेकिन वो ये मौका भी आज चूक गए।
न ही सिर्फ मौका चुके बल्कि उल्टा इसका विरोध करके हर उस देश वासी के दिल में खलिश बन गए जिसका सपना था कश्मीर मामले का स्थायी समाधान , एक छोटे रिक्शे वाले से लेकर एक बड़े उद्योगपति तक का वोट देते समय कश्मीर मुद्दा हमेशा उसके वोट को नियंत्रित करता आया है , भारतीय वोटर अब तक ये कहता रहा की चाहे कोई भी सरकार आये आम आदमी की ज़िन्दगी में कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन जो कश्मीर की समस्या को हल करेगा वो ही हमारा दील जीतेगा।
इस बिल का कांग्रेस आज समर्थन कर देती तो हर हिंदुस्तानी के दिल में उसकी इज़्ज़त वापिस आ जाती।
ये इतना आसानी से हो गया मानों के कभी मुश्किल था ही नहीं :
पिछले 70 सालो से धारा 370 और कश्मीर को हौआ बना के रख रखा था , ऐसा लगता था की अगर इस मसले का हल करने की कोशिश की तो न जाने कैसी आफत आ जाएगी, न जाने क्या हो जाएगा। देश के बड़े बड़े राजनैतिक विश्लेषक ये कहते थे इतना आसान नहीं है , किसी के बस की बात नहीं हैं लेकिन आज एक झटके में , इतनी आसानी से हो गया की पता ही नहीं चला।
जिसे बड़ी सर्जरी समझा जा रहा था वो तो एक छोटी सी सुई निकली , कुछ लोगों को कई दिनों तक गले ही नहीं उतरेगा की ये इतनी आसानी से कैसे हो गया।
असल में ये कभी मुश्किल था ही नहीं , 70 साल से देश का हॉट मुद्दा इसे बना के रखा गया ताकि इसपर सियासी रोटियां सिकतीं रहे और धंदा चलता है , धरा 370 एक अस्थायी धारा थी जो बनी ही आगे चलके हटाने के लिए थी , बस हिम्मत और राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी थी जो नरेंद्र मोदी ने पूरी कर दी।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
पाकिस्तान की ज़रूरत थी ही नहीं इस मामले को सुलझाने के लिए , फिर इतने सालों से ‘क्या बातें होतीं थीं बातचीत को लेकर ‘ ?
कितने सालों से सुनते आ रहे हैं की कश्मीर का मामला पाकिस्तान के साथ बातचीत से निकलेगा, आज समझ ही नहीं आ रहा की पाकिस्तान से क्या बात करते और कैसे निकालते रास्ता ?
क्या उससे पूछते की भाईसाब आपकी इजाज़त हो तो हम हमारा राज्य वापिस सामान्य श्रेणी में ले आएं जिसे कभी हमने ही अस्थायी आराम दिए थे ?
या पूछते की भाईसाब क्या हिंदुस्तानी कश्मीर में हम हिंदुस्तान के कानून लागु कर लें अगर आप की इजाज़त हो ?
ये शुरू से ही भारत का राज्य था जिसे कुछ समय के लिए हालत सुधारने की नज़र से धारा 370 के तहत विशेषाधिकार दिए थे , जिसे कई साल पहले भी इसी आराम के साथ हटाया जा सकता था लेकिन वोट बैंक के लालच में कश्मीर को 70 साल जलने दिया गया , असल में ये हमारा अंदरूनी मसला था जिसे हम जब चाहे ठीक कर सकते थे।
मोदी ने देश का राजनैतिक पटल हमेशा के लिए बदल के रख दिया , अब नए मुद्दों पर होंगे चुनाव :
नरेंद्र मोदी और उनकी टीम ने देश के सब पुराने और हिट चुनावी मुद्दे कश्मीर को ख़त्म कर दिया, आसार के हिसाब से राम मंदिर भी जल्द ही बन जाएगा और उसके साथ ही देश के ये दो सबसे बड़े चुनावी मुद्दे हमेशा के लिए ख़त्म हो जायेंगे। मतलब ये की अब चुनावों में नए मुद्दे देखने को मिलेंगे, जैसे की जीडीपी , नौकरियां , व्यापर इत्यादि।
ये देश के लिए पूर्णतः नया अध्याय होगा, देश की जनता अब राम मंदिर और कश्मीर के आगे भी सोचेगी।
जम्मू कश्मीर के लोगों को जल्द ही समझ आ जाएगा की वो इतने साल कैसे बर्बाद हो रहे थे :
वहां के लोग अब जो विकास देखेंगे, जब उनकी ज़मीनों के दाम बढ़ेंगे , उनके पास सोचने को , करने को कुछ नया होगा, नौकरियां होंगी तब उन्हें समझ में आ जाएगा की अब तक वो कैसे कठपुतलियों की तरह नाच रहे थे।
उनके लिए एक नए अध्याय की शुरुआत होगी, उनका 1947 2019 में आएगा , सबसे बड़ी बात डेमोग्राफिक बैलेंस आएगा यानि दूसरे वर्ग , दूसरी जातियां वहां जा के बसेंगी जिससे असली बदलाव आएगा।
राजनेताओं पर देश का भरोसा बढ़ेगा, देश का आत्मविश्वास बढ़ेगा :
हमेशा से राजनेताओं पर एक दाग लगा था की वो कहते कुछ हैं करते कुछ हैं , वादे कभी नहीं निभाते। मोदी और उनकी टीम ने देश का ये मानस बदलके बड़ी पहल कर दी। उन्होंने ये साबित कर दिया की यदि राजनेता चाहे तो हर वादे को साकार कर सकता है , देश उन पर भरोसा कर सकते हैं और युवा अब राजनीती को भी एक अच्छे अवसर की तरफ देखता है।
मोदी ने देश के सभी राजनेताओं पर से एक बड़ा दाग धो दिया है लेकिन ध्यान रहे बाकि सब भी इसी ओर काम करें।
ये सावधानियाँ बरतनी होंगी अब :
इस बढ़त को बनाये रखने के लिए दो चीज़ें बेहद महत्वपूर्ण हैं :
१) मेहबूबा , उमर अब्दुल्ला व ऐसे सभी कट्टर वादी नेताओं को कश्मीर से हमेशा के लिए दूर करना होगा वरना अपने पुश्तैनी धंदे जारी रखने के लिए ये किसी भी हद तक जाएंगे
२) जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को पूरी सुरक्षा देनी होगी ताकि वहां बड़े व्यापर आ सकें , लोग बसावट कर सकें क्युकी अब ये सभी अलगावादी ताकतें और पाकिस्तान पूरी कोशिश करेंगी वहां दहशत फ़ैलाने की ताकि वहां किसी की हिम्मत न हो आने की
कुछ भी हो , आज हर हिन्दुस्तानी का सर गर्व से ऊँचा हो गया , मानों सालों से चुभ रहे काँटों से एकदम से निजात मिल गयी हो। आने वाले दिनों के अख़बार इस इतिहास का एक एक पन्ना लिखते जाएंगे लेकिन इस देश के लिखे जाने वाले इतिहास में मेरा ये लेख भी शायद अगर अपनी छोटी सी जगह बना पाया तो ये मेरा सौभाग्य होगा।
वन्दे मातरम !
डॉ सौरभ माथुर
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