17 गोलियां खा कर जिंदा बचे परमवीर चक्र विजैता और कारगिल युद्ध के महानायक योगेंद्र यादव का इंदौर बीएसएफ ने किया सम्मान, आजादी महोत्सव के कार्यक्रम में जवानों में दिखा जोश
इंदौर के बीएसएफ कैंपस में आयोजित आजादी के अमृत महोत्सव के तहत कार्यक्रम किया गया इसमें शिरकत करने के लिए परमवीर चक्र से पुरस्कृत एवं करगिल युद्ध के नायक सूबेदार मेजर आनरेरी कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव, परमवीर चक्र विजेता को ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के तहत सीमा सुरक्षा बल के इंदौर कैंपस “केंद्रीय आयुध एवं युद्ध कौशल विद्यालय” परिसर में बीएसएफ आईजी अशोक कुमार यादव ने शाल श्रीफल से सम्मानित किया गया।
यादव देश से सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किए गए देश के सबसे युवा व्यक्ति हैं। उनकी बहादुरी के कारण 1999 में करगिल युद्ध के दौरान 18 ग्रेनेडियर को ‘टाइगर हिल’ के मुख्य भागों पर कब्जा करने में मदद मिली थी। आज़ादी के अमृत महोत्व कार्यक्रम की श्रृंखला में देश की हिफाज़त देश की सुरक्षा “के अन्तगर्त इंदौर के बीएसएफ में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस दौरान उन्होंने कार्मिक और ट्रेनीज के मार्गदर्शन हेतु “युद्ध कौशल के व्यावयरिक आयाम” पर सम्बोधित किया। उन्होंने कहा मैं मुख्य अतिथि नही जवान हु। इस वर्दी के ऊपर देश के 130 करोड़ लोग विश्वास और भरोसा रखते है। वो जानते है कि सेना है तो हम सुरक्षित है और चैन से सो पा रहे है। उस दौरान शहीद हुए अपने साथियों की शहादत का जिक्र करते हुए यादव भावुक हो गए। उन्होंने कहा मेरे शहीद साथियो का सोचना था कि सांस चले ना चले मेरा राष्ट्र चलना चाहिए। उस दौरान योगेंद्र यादव 17 गोली खाकर भी जिंदा बच गए थे उन्होंने कहा फौजी मरने के लिए नही मारने के लिए होते है। 18 ग्रेनेडियर्स के सूबेदार-मेजर योगेंद्र सिंह यादव ने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान घर-घर में एक जाना-पहचाना नाम बन गए थे, जब उन्होंने द्रास इलाके में टाइगर हिल पर कब्जा जमाया था। यह उस वक्त शत्रु पक्ष पर बड़ी बढ़त थी, जिन्होंने घुसपैठ पर वहां कब्जा जमा लिया था। भारत और पाकिस्तान के बीच यह संघर्ष तीन महीने तक चला था, जिसके लिए चार लोगों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इनमें से एक कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव भी थे। कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव के पिता 11वीं कुमाऊं के सिपाही रामकृष्ण यादव भी 1965 और 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ चुके थे।
बाइट – कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव,