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200 बेड का फर्जी अस्पताल कागज़ों में ही खुल गया, उसी अस्पताल के बिनाह पर नर्सिंग कॉलेज की भी मान्यता मिल गई – ज़िला राजगढ़ के खिचलिपुर में हुए इस कांड में मुख्य आरोपी गिरफ्तार जबकि तत्कालीन सीएमएचओ समेत अन्य आरोपियों के ज़मानत आवेदन खारिज

भोपाल। मध्य प्रदेश में एक और सनसनीखेज खुलासे ने दस्तक दे दी , मामले को जिसने भी सुना उसके होश उड़ गए।

असल में जिला राजगढ़ के तहसील खिचलीपुर में पूरे 200 बेड का अस्पताल महज़ कागजों में बना साथ ही उस अस्पताल के दस्तावेज कि बिनाह पर एक नर्सिंग कॉलेज की भी परमिशन लेकर सरकार को लाखों करोड़ों का चूना लगाया गया और भोली भली जनता को कुछ भ्रष्ट डॉक्टरों अथवा सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से बेवकूफ बनाया गया।

असल में जिला राजगढ़ के तहसील खिलचीपुर में कागजों में संचालित 200 बेड के फर्जी हॉस्पिटल मामले में संचालक अशोक कुमार नागर सहित चिकित्सक भी आरोपी पाया गया।

खिलचीपुर पुलिस ने श्री साईनाथ हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर एवं मां जालपा बीएससी नर्सिंग कॉलेज के संचालक अशोक कुमार नागर सहित तत्कालीन सीएमएचओ डॉक्टर के के श्रीवास्तव, खिलचीपुर बीएमओ डॉ आर .पुष्पक , डॉ ए .के. सक्सेना एवं डॉक्टर एन .के .वर्मा के खिलाफ अपराध क्रमांक 345/ 2020 धारा 420 467 468 471आईपीसी के तहत प्रकरण दर्ज कर आरोपी अशोक कुमार नागर को गिरफ्तार कर लिया था।

एडवोकेट धर्मेंद्र साहू द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोपीगणों की माननीय श्रीमान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के यहां से जमानत आवेदन खारिज हो गए हैं तथा माननीय श्रीमान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष आरोपी अशोक कुमार नागर एवं डॉक्टर एन .के. वर्मा ,बीएमओ आर .के. पुष्पक , डॉ ए.के. सक्सेना सीएमएचओ के.के श्रीवास्तव ने जमानत आवेदन पेश किए गए थे तथा सीएमएचओ डॉ.के. के श्रीवास्तव द्वारा माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के समक्ष भी जमानत आवेदन *Mcrc नंबर 30255/2020* प्रस्तुत किया गया था तथा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जमानत आवेदन खारिज कर दिया गया है , अभी प्रकरण में आरोपीगण फरार है ।

अधिवक्ता धर्मेंद्र साहू का कहना है कि कोरोना जैसी गंभीर महामारी के दौर में राजगढ़ जिले में स्वास्थ्य शिक्षा माफियाओं द्वारा कूट रचित दस्तावेजों से शासन को गुमराह कर 200 बेड का हॉस्पिटल और बीएससी नर्सिंग कॉलेज की मान्यता प्राप्त करना और तत्काल कार्रवाई ना कर लंबे समय के बाद इस तरह की कार्यवाही महज औपचारिकता नजर आती है इसमें कई तथ्य अभी भी छिपाया जा रहे हैं ।

इस मामले में सूत्रों के अनुसार लाखों का लेनदेन करके बिना इंस्पेक्शन करके जो अस्पताल बना ही नहीं उसे कागजों पर स्वीकृति के साथ मान्यता भी दे दी गई, मामला फिलहाल जिला न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय खंडपीठ में लंबित है जहां कोर्ट का रुख भी आरोपियों पर सख्त दिखाई दे रहा है।

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