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234 यात्रियों को कुवैत से इंदौर लेकर आई दो फ्लाइट्स जबकि पूरे देश के लाखों गरीब मज़दूर हज़ारों किलोमीटर पैदल चलकर पहुँच रहे भारत के अपने ही घर में, अगर विदेशों से विमान भेज लाए जा रहे लोग भारतीय हैं तो सड़कों पर घर के लिए पैदल निकले लोग फिर कौन हैं ?
डॉ सौरभ माथुर
इंदौर। देश में सरकार के ही अपने दो विरोधाभासी अभियान देखने को मिल रहे हैं, एक जिसमें सरकार पूरे भारत वासियों को अपने ही घरों में कैद रहने को कह रही है , कह रही है जब तक बहुत आवश्यक काम ना हो तब तक घर से बाहर ना निकले, इस अवस्था में देश के लाखों गरीब मजदूरों को सड़क पर उतार दिया है और वो जिंदा रहने के लिए अपने घरों की तरफ पैदल चल पड़े हैं जहां सरकार की तरफ से ना ही कोई सुविधा है, ना ही कोई वाहन है और ना ही किसी प्रकार के भोजन की व्यवस्था की जा रही है.
तो वहीं दूसरी ओर वंदे भारत अभियान चलाकर विदेशों में फंसे यात्रियों को लेने के लिए हवाई जहाज भेजे जा रहे हैं, इस विरोधाभास से जनता अब अचंभे में पड़ रही है कि यदि जो बाहर से लाए जा रहे हैं वह भारतीय है तो सड़क पर अपने घरों के लिए पैदल निकले वह गरीब लोग कौन हैं