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Madhya Pradesh

50 % तक की कमी आयी है शिकायतों में, एडवाइजरी संचालकों में भी थोड़ा सुधार है पर अब कोई गलती माफ़ नहीं – सेबी

संपादक डॉ सौरभ माथुर और सेबी के एक वरिष्ठतम अधिकारी की विशेष चर्चा

इंदौर। हाल  ही में हुए ‘इंदौर एडवाइजरी धोखाधड़ी’ के मामले से पूरे देश में बवाल मचा हुआ है  ऐसे में उक्त नियामक सेबी पर भी सवाल उठना निश्चित थे जिसके जवाब तलाशने हम सेबी के कार्यालय गए ।  वहाँ सेबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने औपचारिक नियमों  के चलते नाम न लिखने की शर्त पर खुल के बात की, कई तीखे सवालो के जवाब दिए, विभाग और उद्योग की मुश्किलों के बारे में चर्चा की, निवेशकों के कठिनाइयों के बारे में बताया और आने वाली चुनौतियों से निपटने की रणनीति समझायी।  इस चर्चा को हम बिंदु बद्ध तरिके से प्रस्तुत कर रहे है :

इंदौर में क्या सही आंकड़ा है रजिस्टर्ड एडवाइजरी का और क्या है अमूमन गैर रजिस्टर्ड एडवाइजरी की संख्या ?

161 रजिस्टर्ड एडवाइजरी है इंदौर संभाग में जिसमे अधिकतर प्रोपेरिटरी  है , गैर रजिस्टर्ड कंपनियों का अंदाज़ा 75 तक का है हालाँकि इसके पीछे कोई तथ्य अभी तक नहीं आए है

भारत के संविधान में तब से लेकर आज तक कई बदलाव हुए और आज 70 वर्षों बाद भी हम ये नहीं कह सकते ही सुधार की गुंजाईश नहीं है , ऐसे में सेबी के एडवाइजरी रेगुलेशन मात्र 5 वर्ष पुराने है , उसमे में से कुछ  नियमों का सरूप पालन करना एडवाइजर के लिए कठिन है

नियमों  में समय के साथ आवशयक संशोधन किया जाएगा परन्तु नियम कठिन नहीं अपितु बहुत ही आसान है , थोड़ी सी समझ और सावधानी से इनका  पालन किया जा सकता है।

ऐसे कई मामले भी सामने आ रहे है जिसमे शिकायतकर्ता सीधे पुलिस के पास जा रहे है, ऐसे में सेबी के क्या प्रयास है उन मामलों  का संज्ञान लेने में क्युकी ऐसे मामलो के निगरानी व सुलझाने की ज़िम्मेदारी मुख्या रूप से सेबी की है 

पुलिस के पास जा रहे मामलो में अधिकतर धोखाधड़ी जैसे आपराधिक धाराएं होती है जिसका न्यायिक क्षेत्र पुलिस ही हैं , ऐसे में जो भी जानकारी पुलिस हमसे चाहती है वह हम ज़रूर देते है, यदि कोई मामला सेबी के पास आता है तो वो सीधा सेबी के न्याय क्षेत्र में आता  है और हमसे जो भी कुछ बन पड़ता है हम करते है और करते रहेंगे।

साल 2013 में सेबी का एडवाइजरी रेगुलेशन एक्ट बना इस नज़रिये से सेबी के लिए भी एडवाइजरी सेगमेंट आरम्भिक दिनों के एक ‘नवजात’ बालक से कम नहीं होगा और ऐसे में खुद सेबी को  व्यवथा समझते समझते वक्त लग गया होगा ?

 शुरू में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ा , नियम समझाने और उपयोग में लाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी, संचालको और उनके कंप्लायंस अफसरों के साथ मैंने और मेरी पूरी टीम ने बहुत वक़्त दिया , समझाया क्या सही और क्या गलत है , पिछले छह महीनों में इन प्रयासों का फल मिला और शिकायतें 50 % तक काम हुई और लगातार सुधार हो रहा है संकेत अच्छे है। 

किन  मुख्य चुनौतियों का  सेबी और उसके अधिकारियो को सामना करना पड़ा एडवाइजरी सेगमेंट को रेगुलेट करने के लिए ?

सबसे बड़ी चुनौती है की अधिकांश निवेशकों को सेबी के बारे में पता ही नहीं है और इस कारण से वो ठगी का आसानी से शिकार हो जाते है, दूसरी अधिकांश एडवाइजरी संचालकों को एडवाइजरी रेगुलेशन एक्ट के नियमो की पूरी जानकारी नहीं है हालाँकि सेबी के द्वारा किये गए प्रयासों से अब तक़रीबन सभी सभी कंपनियों को इन नियमों  से अवगत कराया जा चूका है।

यदि अधिकांश निवेशकों को सेबी की जानकारी ही नहीं है तोह इसके लिए क्या ठोस कदम उठाये गए ?

सेबी ने इसके जानकारी के लिए वैसे तो कई टीवी और प्रिंट मीडिया विज्ञापन दिए परन्तु ज़मीनी स्तर पर  मुख्य रूप से तीन अहम् कदम उठाये :

1) इसके लिए क्षेत्रीय स्तरों पर ‘रीजनल समिनार’  किये गए है  जिसका मकसद है की निवेशकों में जागरूकता लाना , मध्य प्रदेश में ही अकेले पिछले कुछ महीनो में तक़रीबन 9 ऐसे कार्यक्रम हो चुके है जिसमे उज्जैन, देवास, इंदौर,सागर, जबलपुर , मंदसौर इत्यादि में किये गए

इन कार्यक्रमों में कितने निवेशकों ने भाग लिया ?

तक़रीबन 80 निवेशक हर जगह देखि गए जबकि मंदसौर में ये आंकड़ा 150 तक पहुंच गया था, आगामी 23 तारीख को भी इंदौर में एक ऐसा ही कार्यक्रम है।

2) इसके अलावा  सेबी नें  अपने SRO जैसे की BSE ,NSE ,MCDX  इत्यादि के साथ मिलकर ‘इन्वेस्टर अवरेनेस प्रोग्र्राम’ भी किये जिसमे आगामी कार्यक्रम खंडवा और बुरहानपुर में भी होना है

3) सेबी के इंदौर कार्यालय में नविन निवेशक और विद्यार्थियों के लिए हर माह ऐसे कई कार्यक्रम होते रहते है जिसमे हम उन्हें विभिन प्रकार के निवेश और उनसे जुड़े सही व गलत तरीको के बारे में बताते है

क्या सही तरीका है निवेशक को ये मालूम करने का की जिस एडवाइजरी के साथ वो जुड़ने जा रहे है वह सही है ?

वैसे तो पूरी जानकारी सेबी की वेबसाइट पर उपलब्ध है परन्तु हम यही कहेंगे की सबसे अच्छा तरीका है की निवेशक अगर हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों को फ़ोन कर के वेरीफाई कर ले तोह हम उक्त रजिस्टर्ड एडवाइजरी की पूरी जानकारी दे देंगे जिसमे यदि उसपे कोई गंभीर मामले या शिकायतें है तोह उसके भी पूरे जानकारी दी जाएगी क्योकि हाल ही में कुछ ऐसे मामले भी सामने आये जहाँ कुछ ठगों ने न ही सिर्फ झूठा सेबी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट बनवाया बल्कि यहाँ तक कह दिया की उक्त स्कीम सेबी की ही है।

जिस प्रकार से सभी उद्योगों के संगठन है , क्या उसी प्रकार से एडवाइजरी का भी कोई संगठन है जो आपके साथ मिलकर सुधार के क्षेत्र में काम करे ?

कोई भी पंजीकृत संगठन आज तक हमारे पास नहीं आया हालाँकि कुछ लोग इकट्ठे हो कर कभी कभी आएं है लेकिन उनको संगठन की परिभाषा नहीं दी जा सकती, हम तोह खुद चाहते है की ऐसा हो और सभी स्वच्छ छवि वाले संचालक संगठन के रूप से जुड़े और हमारे साथ मिलकर आगे का रास्ता तय करे।

सेबी ऑफिस के दरवाज़े सभी चर्चाओं के लिए खुले है , मैंने कुछ दिन अथवा समय भी सिर्फ संचालको से इन्ही चर्चाओं के लिए निर्धारित कर ऑफिस के सूचना पटल पर भी लगवा रखा है किन्तु इसमें  अबतक भागीदारी भी बहुत काम देखने को मिली है।

अक्सर ऐसा देखा गया है की एक कंपनी के कर्मी दूसरी कंपनी को ज्वाइन करके अपने पुराने ग्राहकों  को वर्गालाते है , उक्त कंपनी से रिफंड लेने के लिए भड़काते है और सभी हथकंडे खुल के सिखाते है जिसमे सेबी और पुलिस से शिकायत आम बात है।  पैसा रिफंड करवाने के बाद वो फिर नयी कंपनी में उतना ही पैसा निवेश करवा कर निवेशकों का  और इस पूरे उद्योग का गलत फायदा उठाते है , इस बारे में आपकी क्या राय  है ?

सबसे ज़रूरी वह लोग (एडवाइजर और उनका संगठन) खुद अपने लिए  भी नियम बनाये जिससे उन्ही को फायदा होगा, अगर किसी एक कंपनी के 20 कर्मी किसी दूसरी कंपनी को दुगुनी पगार में ज्वाइन करके निवेशकों को भड़कातें है , ग्राहकों के साथ मिलकर पुराने संचालको को ब्लैकमेल करते है तो सिर्फ इसीलिए की दूसरी कंपनी का संचालक उन्हें लालच में आकर ऐसा करने के लिए अनुमति देता है परन्तु ये चक्र चलता ही रहेगा और इससे सभी को नुकसान है।

कुछ मामलो में ट्राई ने भी एडवाइजरी पर चलानत्मक कार्यवाही की है और उन्ही मामलों में आगे जाके गिरफ्तारियां भी हुई है , क्या सेबी के न्याय क्षेत्र का उससे भी कोई सम्बन्ध है ?

ट्राई ने अपने नियमो से कुछ कार्यवाही ज़रूर की है हालाँकि की सेबी में भी कानून है की

कोई भी एडवाइजर ‘कोल्ड कॉलिंग ‘ नहीं कर सकता , यानि किसी भी ग्राहक को आप तभी कॉल कर सकते है अगर उसने खुद अपनी मर्ज़ी से अपनी जानकारी आपको दी है , आप ऐसे कोई भी ‘डाटा’ पर कालिंग नहीं कर सकते जिसकी अनुमति आपके पास नहीं है।

यदि कोई एडवाइजर विदेशी बाज़ारो में अपनी सेवाएं देना चाहे तो क्या उस पर भी सेबी के कुछ विशेष नियम है ?
ऐसी परस्तिथि को फ़िलहाल सेबी में छूट दे राखी है हालाँकि विदेशी ग्राहकों में यदि कोई भी NRI है तो फिर वह सेबी के न्याय क्षेत्र में आएगा।

इस सेगमेंट में और सुधार लाने की क्या रणनीति रहेगी ?

हमने उन सभी मामलों  में जहाँ शिकायतें तय समय में नहीं निपटाई जा रही है या फिर बहुत संगीन है उन्हें लीगल  लेटर इशू करने शुरू कर दिए है ,  उसके बाद भी अगर संतोषजनक जवाब नहीं आता तोह फिर ऑडिट की कार्यवाही की जाती है और अंत में  ऑडिट में गड़बड़िया मिलने पर लइसेंस सस्पेंशन की कार्यवाही की जाती है, हाल में हमने कैपिटल ट्रू नाम की कंपनी का लइसेंस निरस्त किया है और ज़रूरत पड़ने पर हम ऐसे कदम उठाने में पीछे नहीं हटेंगे।

इतना ही नहीं हमने और हमारे टीम ने गांव , ब्लॉक और तहसील स्तर पर भी निवेशक जागरूकता के तक़रीबन 650 कार्यक्रम किये है और आगे भी करते रहेंगे।

निवेशकों और एडवाइजरी कंपनियों तक आप  क्या सन्देश पहुंचना चाहेंगे ?

निवेशकों के लिए : सेबी आपका भरोसा है, अगर कुछ भी गलत हुआ है तो बेझिझक हमे बताये , हम हर स्तर तक जाके आपकी मदद करेंगे

एडवाइजर के लिए : आई  ए रेगुलेशंस को ध्यान से पढ़े और उनके दायरे में रहे, अब समय आ गया है की धरती का कानून आपको मानना  ही पड़ेगा

इस पूरी चर्चा में ये साफ़ हुआ की सेबी स्तिथि को बेहतर करने हे हर उपाय और समाधान पर खुल कर चर्चा और काम करने के लिए तैयार है, बाजार में हो रहे बदलाव को लेकर भी बेहद सकारात्मक है परन्तु अब नियमों के पालन में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं होने दी जाएगी।

 

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