सरकार के साथ पलटे वादे : पिछली सरकार में बैक लेन पर निर्माण करने की अनुमति, इस सरकार ने थमाए तोड़ने के नोटिस
मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार के समय प्रदेश के कई शहरों और महानगर को खूबसूरत बनाने के नाम पर जमकर तोड़ा फोड़ी कर आमजन के मकान और व्यापार को नुकसान पहुचाया गया था वही जिन लोगो के मकान और दुकान तोड़ी गई थी उन्हें प्रदेश की पिछली सरकार ने आश्वशन देते हुए बेक लाइन पर मकान बनाने की मौखिक अनुमति दे दी थी और रहवासियो ने मौखिक अनुमति पर ही बेक लाइन पर मकान बना लिए , लेकिन एकाएक एक उन्हें निगम ने बेक लाइन पर तोड़ने के नोटिस थमा दिए गए जिसके विरोध में उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका लगाकर आगमी दिनों तक कार्रवाई पर स्टे ले लिया।
इंदौर तो पश्चिम क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर गणेशगंज की मेन रोड चौड़ी की गई थी जिसमें कई घरों के 25 फीट से अधिक मकान क्षतिग्रस्त किए गए थे जिसमें तत्कालीन महापौर मालिनी गौड़ और पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता के द्वारा रहवासियों को मौखिक रूप से कहा गया था कि बेक लाइन पर आप रहने के लिए घर बना सकते हैं लेकिन जब रहवासियों ने बेक लाइन पर घर बनाए तो उस पर भी वही के रहने वाले फेक्ट्री संचालक मोदी ने कोर्ट में याचिका लगाकर तोड़ने की अपील की , कोर्ट ने याचिका कर्ता को सुने के बाद फैसला भी सुनाया ,वही निगम के अधिकारियों को आदेश भी दिए कि बेक लाइन पर बने मकानों को तत्काल तोड़ा जाए , आदेश के नोटिस जब गणेशगंज के रहवासियो को लगी तो उन्होंने तत्काल वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई के लिए आवेदन दिया , जब दोनों ओर से बहस होने के बाद हाई कोर्ट ने गणेशगंज के रहवासीयो को एक महीने के लिए स्टे दे दिया वही निगम और रहवासियो को एक सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश भी दिए है। वही हाई कोर्ट से सटे मिलने के बाद उसका लाभ वहां रह रहे तीन सौ से अधिक परिवार को मिलेगा।
वही निगम की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर कई तरह के सवाल खड़े हुए है जहाँ निगम ने बेक लाइन पर मकान बनाने वालों को नोटिस देते हुए तोड़ने की कार्रवाई की शुरुआत कर दी वही सालो से बेक लाइन पर एक कारखना और धर्मशाला बनी हुआ उसको लेकर निगम ने किसी तरह कोई गाइड लाइन नही बनाई , सालो से धर्मशाला बेक लाइन पर बनी हुई है वही फेक्ट्री संचालक भी सालो से बेक लाइन पर फेक्ट्री बनाकर व्यपार कर रहा है लेकिन निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अभी तक किसी तरह की कोई कार्रवाई इन रसूखदार अतिक्रमणकारियों पर नही की ।
विनोद द्विवेदी , वकील