छोटी बस्तियों में गांजा-स्मैक और पॉश कॉलोनियों में बिक रही मैथाड्रॉन
नशाखोर और तस्करों की घेराबंदी के लिए पुलिस ने एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें खुलासा हुआ कि छोटी बस्तियों में गांजा-स्मैक का नशा होता है जबकि पॉश कॉलोनियों में महंगे नशीले पदार्थों की मांग है। पुलिस नशे की लत का शिकार हो चुके युवाओं का उपचार और नशा सप्लायरों की गिरफ्तारी की तैयारी कर रही है।
एसएसपी रुचि वर्धन मिश्र के मुताबिक, हाल ही में एनडीपीएस के प्रकरणों की समीक्षा के दौरान पता चला कि वर्ष 2015 में पुलिस ने सिर्फ 21 मामले दर्ज किए थे। जबकि इस वर्ष मार्च तक 280 केस दर्ज कर 308 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पिछले वर्ष 647 केसों में 733 नशेड़ियों को गिरफ्तार किया था। एसएसपी के मुताबिक, नशे में लिप्त युवाओं की गिरफ्तारी से जरूरी है उनका उपचार कराना। जिले में रिहेब सेंटर नहीं होने से लोग उपचार नहीं करवा पाते हैं। इसके लिए उन्होंने कमिश्नर को पत्र भी लिखा है। उधर, क्राइम ब्रांच को उन तस्करों पर नकेल कसने की जिम्मेदारी सौंपी है जो नशा सप्लायरों के संपर्क में हैं।
पॉश कॉलोनी-फार्म हाउस और पबों में मिलता महंगा नशा
क्राइम ब्रांच एएसपी अमरेंद्र सिंह के मुताबिक, हमारी छानबीन में खुलासा हुआ कि साकेत नगर, पलासिया, विजय नगर, गीताभवन, भंवरकुआं, बंगाली चौराहा, कनाड़िया जैसी पॉश कॉलोनियों में भी नशे की सीधी सप्लाई होती है। इन कॉलोनियों में मैथाड्रॉन (एमडी) की मांग है जो मुंबई से सप्लाई हो रही है। पिछले दिनों पुलिस ने पुष्पेंद्र उर्फ सोहम सिंह को एमडी के साथ गिरफ्तार किया तो उसने रसूखदारों के नाम कबूले। इसी तरह पब और फार्म हाउसों पर होने वाली पार्टियों में भी स्मैक, ब्राउन शुगर, एमडी, हैज ऑइल, कोकिन, जैली, एलएसडी, जाइंट का नशा होता है।