अजि काहें का कंटेनमेंट एरिया ? न पुलिस न मेडिकल टीम, हां पड़ोसी ज़रूर दिखे कोरोना मरीजों के घर के पास टहलते हुए
डॉ सौरभ माथुर
जिस बॉम्बे अस्पताल में तीन पॉजिटिव मरीज़ हैं व जिस क्षेत्र में दो पॉजिटिव मरीज़ मिलें हैं वहां किसी प्रकार की कोई व्यवस्था या पुलिस किर तैनाती नहीं
इंदौर। शहर के जिन घरों में कोविड के मरीज़ मिले थे उन मोहल्लों के तीन किलोमीटर के दायरे कंटेनमेंट एरिया बनाना था, कलेक्टर के
आदेश पढ़ें तो ऐसा लगता था कि उन क्षेत्रों को सील कर दिया जाएगा, न कोई अंदर और न ही कोई बाहर जा पाएगा, वहां के सभी घरों की स्क्रीनिंग की जाएगी, मेडिकल टीम जिसमें एक लैब टेक्नीशियन, डॉक्टर, नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ होगा वो टीम वहां रहेगी, निगम की टीम रहेगी, पुलिस क्षेत्र के चप्पे चप्पे पर तैनात रहेगी इत्यादि इत्यादि।
हकीकत इसके ठीक उलट है, जिस बांबे हॉस्पिटल में कॉविड के तीन मरीज़ भर्ती हैं, और मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर मेपल टाउनशिप में पॉजिटिव मरीज़ है वहां पुलिस, मेडिकल टीम तो दूर बैरिकेड्स भी नहीं हैं। इसी क्षेत्र में तकरीबन आधा दर्जन टाउनशिप हैं जहां तकरीबन 75 हज़ार से अधिक लोग हाई डेंसिटी में रहते हैं जिसने अपोलो डीबी सिटी, शालीमार टाउनशिप, ओशन पार्क, बालाजी स्काई इत्यादि शामिल हैं और इसी क्षेत्र में कांकड़ समेत दो मरीज़ पॉजिटिव पाए गए हैं।
वहीं खजराना के दाऊदी नगर में भी ऐसा ही हाल है, कॉलोनी में ऐसा लग रहा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो, पीड़ित के घर से कुछ दूर पुलिस चैकिंग कर सवाल ज़रूर पूछ रही थी लेकिन न किसी को रोका जा रहा था और न ही किसी भी प्रकार की कोई टीम मौजूद थीं, इसी तरह से चंदननगर स्कीम 71 में भी मात्र बैरिकेड्स लगा कर इतिश्री कर ली, कोई भी पुलिस या प्रशासन से वहां मौजूद नहीं था, पॉजिटिव मरीज़ के पड़ोसी घरों को भी मार्क नहीं किया गया था।
रानीपुरा और सिलावतपुरा के भी अमूमन यही हाल थे, आम दिनों की तरह आवाजाही बनी रही, न किसी ने पूछा और न ही कोई रोक टोक।
इन सभी क्षेत्रों में जोट सबसे चिंता कि बात थी वो ये कि इन क्षेत्रों में से किसी में भी मेडिकल टीम की तैनाती तो दूर मेडिकल टीम के दर्शन ही नहीं हुए, हां खजराना में औपचारिकता पूरी कर टीम जल्दी रवाना हो गई थी।
जिस शहर में 19 लोग पॉजिटिव मिलें हों वहां का पुलिस व प्रशासन इतनी लापरवाही कैसे होने दे सकता है ?