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शहर में पच्चीस रुपए किलो बिक रही प्याज़ की भी कहानी सुन लो – किसानों से मात्र 5 रुपए किलो ख़रीद रहे हैं व्यापारी, लागत बराबर भी नहीं कमा रहा किसान

देपालपुर-(निप्र) देपालपुर तहसील के सबसे बड़े आलू, लहसुन, प्याज उत्पादक ग्राम गिरोता, बनेडिया, खिमलावदा, चिमनखेडी, जलालपुर, गोकलपुर, मुंडला कलमा, मुंदीपुर, अट्टाहेड़ा ,गेहूंखेड़ी आदि ग्राम के किसानों को अपनी प्याज की फसल अपनी प्याज की फसल का सही दाम नहीं मिलने के कारण खून के आंसू रुला रहा है, एक और शासन द्वारा कोरोनावायरस के चलते इस वर्ष ना तो प्याज का पंजीयन करवाया गया व ना ही मंडिया चालू है इस कारण प्याज किसानों से 5 से ₹6 किलो में ही व्यापारियों द्वारा खरीदा जा रहा है जिस कारण किसानों को अपनी लागत का भी पैसा नहीं मिल पा रहा है एक और इस वर्ष प्याज की उत्पादन क्षमता भी कम बैठ रही है इस वर्ष प्याज प्रति बीघा 140 से डेढ़ सौ कट्टे ही निकल रहे हैं वही दूसरी ओर एक बीघा प्याज में लागत जहां इस प्रकार
1 दो बार खेत को कलटीवेटर करने का 800 रूपये
2 एक बार रोटावेटर 800 रूपये
3 कण जिसे रोप तैयार करना 3 किलो एक बीघा में 22 सौ रूपये किलो से 6600 रूपये का
4 प्याज का रोप चौपाई व उखाडने की मजदूरी 8000 रूपये
5 सुपर खाद 3 बोरी 1050 रूपये
6 डी ए पी खाद 2 बोरी 2400
7 निदाई व घास की दवाई 3000 रूपये
8 एक बोरी युरीया 300 रूपये
9 कीटनाशक दवाई चार बार स्प्रे करने का 5 हजार रुपए
10 पानी फेरने का 2 हजार रूपये
11 अन्य खाद 25 सौ रूपये का
12 प्याज निकालने का 7 हजार रूपये
13 150 कटटे बारदान का 2 हजार रूपये
14 मंडी भाडा 3 हजार रूपये
15 हम्माली 15 सौ रूपये
16 किसान का खेत पर आने जाने का चार माह 5 हजार रूपये कुल खर्च एक बीघा पर 50 हजार 950 रूपये होता है तथा 5 रूपये किलो से एक बीघा से 150 कटटे के 45 हजार रूपये यानी किसान को करीब 6 हजार का नुकसान हो रहा है साथ ही अगर किसान ने जमीन को अगर किसी किसान से रीत से अगर 12 हजार में एक वर्ष के लिये लेकर प्याज की खेती करता है तो उसे करीब 18 हजार रूपये का घाटा होगा वही किसान एक बीघा प्याज के बजाय गेहूँ बोलता तो उसे 18 क्विंटल गेहूं निकलता तो उसे 36 हजार रुपये का होता साथ ही गेहूं में खर्च भी कम होता इस हिसाब से किसान को इस वर्ष प्याज में भारी नुकसान हो हो रहा है वही प्याज की लागत मूल्य भी निकलना मुश्किल हो रहा है।जिस कारण किसानों को प्याज रुला रहा है । पिछले वर्ष किसानों को अपनी फसल का अच्छा भाव मिला था जिसे शहरी क्षेत्र की जनता व टीवी चैनल वालों ने खूब दिखाया था की जनता को प्याज रुला रहा है वहीं इस वर्ष किसानों को अपनी प्याज की फसल का सही दम नहीं मिलने पर ना तो सरकार व मीडिया को किसानों की पीड़ा दिखाई नही दे रही है अगर समय रहते किसानों की प्याज की फसल का सही दाम नहीं मिला तो किसान अपनी फसलों को लेकर आंदोलन करने पर उतारू होंगे किसान जसवंत आंजना,भारत परिहार,अतुल नागर, , ब्रह्मानंद चौधरी गणेशप्रसाद पटेल, रामचंद्र पटेल नानुराम पहलवान अनिल सरपंच प्रेम सेठ आदि ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि प्याज फसल का पंजीयन करवा कर उचित भाव मैं खरीदने के लिए शुरू किया जाए जिस कारण किसानों की अपनी फसलों को बेचने में आसानी रहे व फसलों का भाव नहीं मिलने के कारण फेंकना ना पड़े

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