भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का राजनैतिक भविष्य खतरे में
अशोक रघुवंशी - वरिष्ठ राजनैतिक संवादाता
कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कद के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा ने राज्यसभा के उम्मीदवार बनाया है। bjp के राज्यसभा सांसद बनते ही हो सकता है पार्टी उन्हें केंद्रीय मंत्री पद से नवाजे। भारतीय जनता पार्टी में अपनी दादी के सम्मान का फायदा भी उन्हें भरपूर मिलेगा। क्योंकि आज भाजपा में उनके परिवार के योगदान के समतुल्य कोई नेता नजर नही आता है। और यही बात पार्टी के कई नेताओं की नींद खराब किये हुए है। मध्यप्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के बाद सिंधिया के जलवे देखने को मिलेंगे ये बात निश्चित है। लेकिन इन सब मे महत्वपूर्ण है 24 सीटों पर उपचुनाँव का परिणाम। क्योकि अगर परिणाम bjp के पक्ष में आते है (जिसका अभी अंदेशा कम ही है) तो जीत का सारा श्रय शिवराज लेने की कोशिश करेंगे। अगर पार्टी हारती है तो ठीकरा सिंधिया के सर फोड़ने में देर नही लगेगी। लेकिन ये बात पक्की है। उपचुनाँव में जीत के बाद एक बार फिर प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने की माँग उठेगी। ओर वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज,रास्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय,गोपाल भार्गव,नरोत्तम मिश्रा क्या दूसरी तीसरी पंक्ति में अपने आप को बर्दाश्त कर पाएंगे? ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन आश्चर्यजनक बात देखने को जब मिली जब भाजपा ने उपचुनाँव में कई ऐसे चहरो को प्रभारी बनाया है जो 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी कार्य के लिए चर्चित हुए थे। और हारे हुए विधायको ने संघटन को इसकी शिकायत भी की थी। क्या ऐसा जानभुज कर किया गया है? क्या पार्टी का एक धड़ा अभी भी सिंधिया समर्थक विधायक उम्मीदवारों को निपटाने में लगा है? ये भी आने वाला वक्त ही बताएगा । *लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता पूर्व* *सांसद,महापौर ,संघटन मंत्री श्रीकृष्णमुरारी मोघे की सक्रियता ने जरूर पूरे प्रदेश के कार्यकर्ताओ में जान फूंक दी है। बड़े बड़े पदों पर रह चुके श्री मोघे के पास वर्तमान में कोई दायित्व नही है* ये भी एक विडम्बना ही है। बावजूद इसके जनता के हितों के लिए अधिकारियों से लगातार चर्चा कर जनहित के निर्णय लेने अधिकारियों पर दबाव बना जनता को फायदा पहुँचा आज भी संघटन मंत्री की तरह कार्य करना bjp के लिए शुभ संकेत है।