‘ राहत ‘ की खबर भी कभी यूं आएगी सोचा न था, कि ख़ाक़ में मिलने से पहले दीद भी नसीब न होगा
सबकी नजरों से दूर इंदौर के कब्रिस्तान में सुपुर्दे ख़ाक़ हो गए राहत-ए- इंदौर
इंदौर – इस देश के वह मशहूर शायर जिन्होंने पूरी दुनिया में शायरी का परचम इतना बुलंद कर दिया था कि लोग उनके नाम को पहले और उर्दू को बाद में जानते थे, ऐसे ही मशहूर, दिलचस्प, हर दिल अजीज और नायाब शायर राहत इंदौरी के नाम के आगे भी आज मरहूम लग गया।
उनके अचानक इंतकाल के बाद मानो उर्दू की दुनिया ही उजड़ गई, किसी को इस बात का यकीन ही नहीं हुआ कि वह राहत जिनके शेर और शायरियां सब को राहत देती हैं उन्होंने यूं अचानक सबको रुखसत कह दिया।
आज रात तकरीबन 10:00 बजे राहत इंदौरी को इंदौर के छोटी खजरानी कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक कर दिया गया, कुदरत ने भी आज कदरदानों, दीवानों को राहत इंदौरी साहब के आखिरी दीद से भी महरूम कर दिया।
उर्दू शायरी का खुशनुमा, जादुई और दिलचस्प फरिश्ता आज दबे पाव सब को अलविदा कह गया, कोरोना संक्रमण के चलते उनको कुछ चुनिंदा लोगों ने ही पीपीई किट पहने हुए सुपुर्द ए खाक कर दिया।
आज का दिन शायरी और उर्दू के लिए एक स्याह बनकर रह गया।
उर्दू के ही एक अजीम शायर अल्लामा इकबाल ने भी क्या खूब कहा है-
‘ हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा ‘
ये लेख भारती न्यूज़ के संपादक डॉक्टर सौरभ माथुर द्वारा अज़ीम शायर मरहूम राहत इंदौरी साहब को लफ़्ज़ों द्वारा श्रद्धांजलि देने का एक प्रयास है
away from the everyone eyes rahat-e-indore is buried in the graveyard