जहां आरा: दुनिया की सबसे अमीर शहजादी
जहां आरा मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज महल की सबसे बड़ी बेटी थी। वह शाहजहां की सबसे पसंदीदा बेटी थी ।उनका जन्म अजमेर में 23 मार्च 1614 में हुआ था।वह 14 वर्ष की आयु से ही अपने पिता शाहजहां के साथ राज कार्यों में अपना हाथ बटाने लगी थी। अपनी मां मुमताज महल की मृत्यु के बाद वह अपने पिता के साथ जीवन भर उनकी सबसे विश्वास पात्र बन कर रही ।
एक बार वह पूरी तरह जलने की वजह से चार महीने तक जीवन व मरण के बीच संघर्ष करना पड़ा था । शाहजहां ने उनके लिए 6 लाख रुपए वार्षिक का वजीफा तय किया था । वजीफा मिलने के बाद दुनिया की सबसे अमीर शहजादी बन गई थी , तथा मुमताज महल की मौत के बाद उनकी सारी सम्पत्ति का आदा हिस्सा जहां आरा को दे दिया गया । दिल्ली का चांदी चौक बाजार उन्होंने ही डिजाइन किया था । उन्होंने फारसी में दो किताबे लिखी थी वो ता उम्र कुवारी रही कहा जाता है कि उनका मुकाम बहुत बड़ा था इसलिए उनके लायक शोहर मिला ही नहीं इसलिए वे कुवारि रही ।
उन्होंने बादशाह कि गद्दी के लिए दारा शिकोह औरगज़ेब में लड़ाई में दारा शिकोह का साथ दिया । जब औरंगजेब ने शाहजहां को नजर बंद कर अगर के किले में रखने का फैसला किया तो जहां आरा ने भी कहा कि वे अपने पिता के साथ ही रहेंगी । उन्हें पादशाह बेगम का खिताब दिया । सितंबर 1681में 67 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था उनको दिल्ली में निजामुददीन औलिया के मजार के बगल में दफनाया गया ।