गिलकी 120, हरी मिर्च 80, टमाटर 80 रुपए किलो : महंगी सब्जियों ने बिगाड़ा घर का बजट, आलू तक 30 रुपए किलो बिकने को मजबूर
देपालपुर- आसमान छूती सब्जियों के भावों ने गरीबो के थाली से सब्जी भी गायब कर दिया। गरीबों के लिए आलू सब्जी के एवज की खानापूर्ति करती थी, लेकिन आलू ने भी इस बार रंग दिखाने में कोई कसर नही छोड़ा है। आलू भी खुदरा बाजार में 30 रुपये प्रतिकिलो बिक रही है। आसमान छूती सब्जियों के दाम ने गृहणियों के रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। हरी सब्जियों के भाव आसमान पर पहुंच गए हैं। गरीब की थाली से चटनी तक दूर होने लगी है। दरअसल, हरी मिर्च तक के दाम में दोगुने तक का उछाल आया है। फिलहाल महंगी सब्जियों के दाम घटने का नाम नही ले रहा है। गरीब , मजदूर परिवार के लोग सब्जी खरीदने के लिए दुकान पर तो जाते है, लेकिन सब्जी के आसमान छूती दुकानदार के मुंह से दाम सुनते है। बिना सब्जी खरीदे गरीबी का ताना बाना बुनते बैरंग घर वापस आ जाते है। कोई ऐसी सब्जी नही है जो 60 से 70 रुपये से कम हो।
सब्जी के बिना खाना का स्वाद भी बिगड़ा :
सब्जी नहीं रहने के कारण खाने का स्वाद भी बिगाड़ने लगा है। सब्जियों के दाम आसमान पर होने के कारण आम लोगों पर महंगाई की मार देखी जा रही है। सब्जियों के दामों में एकाएक उछाल आने से आम आदमी अब सब्जियों को कम ही मात्रा में खरीदने पर मजबूर होने लगा है। सब्जी में तड़का लगाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले प्याज से लेकर लौकी तक के दामों में उछाल आ गया है। ऐसे में आम आदमी को सब्जी खरीदने से पहले कई बार सोचना पड़ रहा है। इसके पीछे का कारण सब्जियों की सप्लाई कम होना बताया जा रहा है।
सब्जियों के भाव छू रहे आसमान
सब्जी मंडी में टमाटर 70 से 80 रुपए किलो, आलू 28 से 30 रुपए किलो, भींडी 40 रुपए किलो, गिलकी 120 रुपए किलो, करेला 80 रुपए किलो, साधारण हरि मिर्च 140 रुपए, और अन्य सब्जियों के भाव भी 50 से 60 रुपए किलों के आसपास है। क्या
कहती है गृहणियां
देपालपुर की संध्या सोलंकी ने बताया कि मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए इस महंगाई में सब्जी खरीदना मुश्किल हो गया है। माधवी नागर ने बताया कि सब्जियों के बढ़ते दाम के कारण सब्जी खाना मुश्किल हो गया है।
शुभा नागर ने बताया कि आसमान छू चुकी सब्जी के दाम के कारण सब्जी थाली से गायब हो गया है। रजनी रावल ने बताया कि सब्जी, प्याज अब गरीबों के लिए दिवास्वप्न हो गया है।
Reporter – जेपी नागर