इधर लोग मास्क न लगाने पर जानवर की तरह पिट रहे तो उधर जानवरों के मेले में बिना मास्क सैंकड़ों की संख्या में इंसान, पशु मेले में हजारों की संख्या में इकट्ठा हुए देपालपुर में लोग, अधिकांश ने मास्क नहीं लगाया और सोशल डिस्टेंसिंग की तो बात ही छोड़िए, खैर, इतनी बड़ी लापरवाही, क्या कलेक्टर साहब देपालपुर के जिम्मेदारों को सस्पेंड करेंगे ?
रिपोर्ट – जेपी नागर
कोविड के दौरान कलेक्टर के आदेश की धज्जियां उड़ी, सम्भाग के सबसे बड़े दूसरे पशु हाट बाजार में हजारो की भीड़
देपालपुर:-इस समय कोविड 19 कोरोना वायरस का असर फिर देखने को मिल रहा है. लेकिन वहीं, दूसरी और सरकार के नियम कायदों का लोगों पर कोई असर नहीं हो रहा है ।
देपालपुर में प्रति मंगलवार को सम्भाग का सबसे बड़ा पशु हाट बाजार लगता है, जिसमें इंदौर, धार, उज्जैन, बड़नगर,केसुर,बदनावर, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान से व्यापारी व दलाल हाट करते हैं, जिसमें गाय, भैंस, बकरी खरीदकर ले जाते हैं पर लोगों को कोरोना वायरस बीमारी का जरा भी भय नहीं है और बिना मास्क के ही बाजार में खरीदी कर रहे हैं ।
वहीं अधिकतर लोगों के चेहरों पर मास्क नजर नहीं आए और न विक्रेताओं के कुछ गिने-चुने लोगों के चेहरों पर ही मास्क नजर आए किसी को कोई परवाह नहीं है।
नगरीय क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन कलेक्टर के आदेशों को गंभीर नहीं ले रहे हैं जिस प्रकार शहर में कलेक्टर ने गाइडलाइन जारी की है जिसमें शादी विवाह समारोह में 50 से ज्यादा तथा किसी की मौत होती है तो 20 लोगों से ज्यादा मौजूद नहीं होंगे वही उठावना पगड़ी नुक्ता के कार्यक्रम पर बंदिश लगा रखी है लेकिन देपालपुर नगर में लगने वाला इंदौर संभाग का सबसे बड़ा पशु हाट बाजार में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ रही है इन पर किसी प्रकार की बंदिश नही। वही प्रशासन बाजार में सिंगल घूमने या बिना मास्क लगाए व दुकानों पर बैठे बिना मास्क के लोगो पर चालान बनाकर स्पॉट फाइन कर रहे है वही बाजार व भीड़ में किसी भी प्रसासनिक अमले ने जाना उचित नही समझा। अगर ऐसे में कभी कोरोना का क्षेत्र में विस्फोट हुआ तो जिम्मेदार कौन होगा ।
कोरोना काल मे पिछली मर्तबा नगर परिषद लगातार क्षेत्र को सैनिटाइज कर रही थी जहां पेशेंट मिलते थे वहां तुरंत पहुंच कर उस पूरे एरिया को कवर कर दवाई उढ़ाकर उसे सेनेटाइज किया जाता था लेकिन कोरोना के दूसरी लहर में आज तक नगर परिषद ने ना दवाई डालना उचित समझा नहीं क्षेत्र को पूरी तरह व्यवस्थित सेनेटाइज करना उचित न समझा इसका सीधा सा मतलब यह है कि प्रशासन सिर्फ कोविड-19 का डर पैदा कर रहा है लेकिन क्षेत्र में सैनिटाइज करना उचित नहींं समझ रहे हैं ।