लापरवाही से बंटाधार ! ब्यावर में 247 करोड़ की लागत से शुरू हुई पेयजल योजना का काम 92% पूरा होने के बाद भी शुरू नहीं हुई सप्लाई, एसपीएमएल के लपेटे में आने के बाद फिर हुए री टेंडर , जवाजा क्षेत्र के 199 गांव और 390 ढाणियां आज भी प्यासी
जवाजा क्षेत्र के 199 गांव और 390 ढाणियों तक बीसलपुर का पानी पहुंचाने के लिए 8 साल पहले शुरू हुई योजना में 92 फीसदी काम पूरा होने के बाद भी करीब 31 गांव और 147 ढाणियों तक पानी नहीं पहुंचा है। खास बात ये है कि अजमेर जिला कलेक्टर ने इसके लिए लीडी ग्राम में वनक्षेत्र के समीप 7 हैक्टेयर अधिक जमीन वन विभाग को आवंटित भी कर दी। इसके बावजूद अब तक वन विभाग की स्वीकृति नहीं मिली है ।
जानकारी के अनुसार सरकार ने ‘फ्लोराइड नियंत्रण परियोजना के तहत 21 अगस्त 2013 को 247.81 करोड़ रुपए मंजूर करते हुए एसपीएमएल इंफ्रा लिमिटेड को वर्क ऑर्डर जारी किया था। यह काम 31 अगस्त 2016 तक पूरा होना था। कंपनी के प्रोजेक्ट अधर में छोड़ने पर सरकार को रि-टेंडर जारी करना पड़ा। प्रोजेक्ट में वन विभाग की स्वीकृति के संबंध में नजर डालें तो 913 किलोमीटर लाइन बिछाने के लिए 70 किलोमीटर का वन क्षेत्र भी शामिल था। मगर स्वीकृति के अभाव में वन क्षेत्र के आगे बने तीन पंप हाउस रूपनगर-अरनाली, गोगेला और मेडिय़ा तक पानी सप्लाई नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से 180 गांव-ढाणियों तक पानी पहुंचने में परेशानी हो रही है ।
विभिन्न विभागों को अब तक चुकाए 1.15 करोड़ से अधिक
प्रोजेक्ट के तहत लाइन बिछाने के लिए वन क्षेत्र के अलावा अन्य विभागों से भी मंजूरी लेनी पड़ी। इसके लिए अब तक सवा करोड़ से अधिक राशि चुकानी पड़ी जबकि वन विभाग को अनुमान के तौर पर आगे 2 करोड़ रुपए से अधिक और देने पड़ सकते हैं।
वाइल्ड लाइफ के बाद अब वन महकमे की मंजूरी का इंतजार
वाइल्ड लाइफ की मंजूरी के बाद अब वन विभाग की स्वीकृति का इंतजार है। जिससे शेष 8 प्रतिशत काम भी जल्द पूरा हो। वन क्षेत्र में लाइन बिछाने के लिए ग्राम लीडी में वन क्षेत्र के समीप वन विभाग को 7 हैक्टेयर से अधिक जमीन उपलब्ध कराई गई। -एमएल उचेनिया, प्रभारी जवाजा बीसलपुर प्रोजेक्ट
फ्लोराइड नियंत्रण परियोजना के तहत रूपनगर-अरनाली में निर्मित सीडब्ल्यूआर।
प्रोजेक्ट पूरा होने पर होगी 22.92 एमएलडी की जरूरत
प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद इन गांव-ढाणियों के सभी घरों तक बीसलपुर का पानी पहुंचाना है तो विभाग को कम से 22.92 एमएलडी की जरूरत पड़ेगी। जबकि प्रोजेक्ट की शुरूआत में यह मात्रा 13.77 एमएलडी ही थी। फिलहाल जिन पांच पंप हाउस तक सप्लाई हो रही है वहां के लिए भी 6.5 एमएलडी की जरूरत है कि जबकि जलदाय विभाग महज 3 एमएलडी ही उपलब्ध करा रहा है। ऐसे में जल जीवन मिशन के तहत हर घर कनेक्शन के बाद इसमें और भी बढ़ोतरी होगी।
कंपनी को 30 सितंबर तक का एक्सटेंशन
वन क्षेत्र में लाइन बिछाने के लिए वाइल्ड लाइफ और वन विभाग के यहां आवेदन किया। उसके बाद सन 2015 के बाद ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने के बाद फिर नए सिरे से ऑनलाइन आवेदन करना पड़ा। इसके लिए पहले वाइल्ड लाइफ और अब वन विभाग जयपुर से मंजूरी का इंतजार है। वन क्षेत्र में स्वीकृति के साथ जमीन के बदले जमीन के लिए 7.0484 हैक्टेयर जमीन जिला कलेक्टर अजमेर को ग्राम लीडी में वन क्षेत्र से लगती जमीन देनी पड़ी। राजसमंद और अजमेर जिले से एफआरए (फोरेस्ट रिजर्वेशन एक्ट) भी लेनी पड़ी । इसके लिए राजसमंद से 2021 में तो अजमेर से 2020 में एफआरए मिली। अब जयपुर में मंत्रालय स्तर पर मंजूरी मिलने के बाद ही शेष बचा 8 प्रतिशत काम भी जल्द पूरा हो सकेगा। हालांकि विभागीय मंजूरी के लिए पेचीदगियों में अटके प्रोजेक्ट को लेकर सरकार ने एक बार फिर संबंधित कंपनी को 30 सितंबर तक एक्सटेंशन दिया है। यदि इस अवधि तक भी काम पूरा नहीं हुआ तो सरकार एक बार फिर एक्सटेंशन बढ़ा सकती है ।