3 से 4 इंच वर्षा होने पर ही किसान करें सोयाबीन की बोनी –उपसंचालक कृषि शिव सिंह राजपूत
देपालपुर:- कृषि विभाग द्वारा किसानों को खरीफ फसल के संबंध में उपयोगी सलाह दी है। कृषि विभाग उपसंचालक शिव सिंह राजपूत के अनुसार वर्षा के आगमन पश्चात पर्याप्त वर्षा यानी 4 इंच वर्षा होने पर ही सोयाबीन की बुवाई का कार्य करे मध्य जून से जूलाई का प्रथम सप्ताह बुबाई के लिये उपयुक्त है। सोयाबीन की बौवनी हेतु न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण के आधार पर उपयुक्त बीज दर का ही उपयोग करें।
अंकुरण परीक्षण
बीज के अंकुरण परीक्षण हेतु 100 दाने लेकर गीले टाट के बोरे या अखबार में रखकर घर पर ही कृषक बीज की औसत अंकुरण क्षमता ज्ञात कर सकते हैं। 70 प्रतिशत से कम अंकुरण क्षमता होने पर 20 से 25 प्रतिशत अधिक बीज दर का उपयोग करेें। सोयाबीन की बुवाई बी.बी.एफ. (चौड़ी क्यारी पद्वति) या रिज-फरो (कूड़ मेड़ पद्धति) से ही करें, जिससे सूखा/अतिवर्षा के दौरान उत्पादन प्रभावित नही होता हैं। बुआई की इन विधियों से बीज दर भी कम लगती हैं। सोयाबीन की जे. एस 20-69, जे. एस 20-34, जे. एस 95-60, आर. व्ही. एस 2001-4, जे. एस 93-05 उन्नत किस्मों का बीज बीज निगम एवं नेशनल सीड कार्पोरेशन या पंजीकृत बीज विक्रेताओं से क्रय कर ही बोनी करें। जिन कृषकों के पास सोयाबीन का बीज रखा है उसकी ग्रेडिंग स्पाईरल ग्रेडर से कर स्वस्थ व साबूत दानों को बीज के रूप में उपयोग करें।
बीज दर एवं उपचार
सोयाबीन की बीज दर 75 से 80 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। ज्यादा बीज दर रखने से कीट रोग एवं अफलन की समस्या आती हैं। एक हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 4.50 लाख पौधों की संख्या हो। कतार से कतार की दूरी कम कम 14 से 18 इंच के आसपास रखे। बोवनी के समय बीज को अनुशंसित फफूंदनाशक थायरम + कार्बोक्सिन (3 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज) अथवा थायरम + र्काबेन्डाजिम (3 ग्राम प्रति कि. ग्रा. बीज) अथवा ट्रायकोडर्मा10 ग्राम/ कि.ग्रा.बीज पेनफलूफेन ट्रायक्लोक्सिस्ट्रोविन (1 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज) की दर से बीज उपचार करें। तत्पश्चात जैविक कल्चर. ब्रेडीराइजोबियम जपोनीकम एवं स्फूर घोलक जीवाणु दोनों प्रत्येक 5-5 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से बीज उपचार करें। पीला मौजेक बीमारी की रोकथाम हेतु कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफ. एस.(10 मिली/ कि. ग्रा. बीज ) से उपचार करने हेतु कय सुनिश्चित कर लें।
उर्वरक
खेत की अंतिम बखरनी के पूर्व अनुशंसित गोबर की खाद 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से डालकर खेत में फैला दें। सोयाबीन की बुआई यदि डबल पेटी सीडकम फर्टिलाईजर सीडड्रिल से करते हैं तो बहुत अच्छा हैं। जिससे उर्वरक एवं बीज अलग अलग रहता हैं। जिससे उर्वरक बीज के नीचे गिरता हैं तो लगभग 80 प्रतिशत उर्वरक का उपयोग हो जाता हैं। नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश एवं सल्फर की मात्रा क्रमश: 20:60:30:20 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर के मान से उपयोग करें। एन.पी.के. (12:32:16) 200 कि.ग्रा.+25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर और डी.ए.पी. 111 कि.ग्रा. एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 50 कि.ग्रा.+ 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर उपयोग कर सकते हैं।
शिव सिंह राजपूत ने बताया की किसान सोयाबीन के साथ अबतरवर्तीय फसल ज्वार,मक्का भी ले सकते है जो ज्यादा लाभप्रद है
shiv singh rajput adviced Farmers should sow soybean only after 3 to 4 inches of rain