जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर : इंदौर के एम वाय अस्पताल में सबसे ज्यादा असर, नई भर्ती न होने से अत्याधिक वर्क लोड बना हड़ताल का कारण
इंदौर – नीट प्री पीजी की परीक्षा के काउंसलिंग में हो रही देरी के कारण विगत एक साल से छात्रों की एडमिशन प्रक्रिया रुकी हुई। एमजीएम मेडिकल कालेज सहित प्रदेश के अन्य मेडिकल कालेजों में पीजी के छात्रों की बैच नहीं आई है। इस वजह से मेडिकल कालेज से जुड़े अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों पर काम का दबाव बढ़ रहा है। वहीं जो मेडिकल छात्र परीक्षा दे चुके हैं, वो भी काउंसलिंग का इंतजार रहे हैं। ऐसे में अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी हो गई है जिससे मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। इन्हीं मुद्दों को लेकर एमजीएम मेडिकल सहित देश भर के मेडिकल कालेजों में सोमवार को जूनियर डाक्टरों ने हड़ताल की।
इंदौर के एमवाय अस्पताल में सोमवार को ओपीडी में जूनियर डाक्टरों ने काम नहीं किया। ऐसे में रेजीडेंट व अन्य वरिष्ठ डाक्टरों को ओपीडी में मरीजों का उपचार करना पड़ा। जूनियर डाक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष पीयूष सिंह बघेल के मुताबिक नीट प्री पीजी की परीक्षा पिछले वर्ष जनवरी माह में होना थी लेकिन कोविड के कारण इसकी परीक्षा अगस्त माह में हुई। इसके बाद सितंबर माह में काउंसलिंग होना था लेकिन रिजर्वेशन के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। कोर्ट में 25 नवंबर को सुनवाई होना थी जो आगे बढ़ गई।अब अगली सुनवाई छह जनवरी को होना है। ऐसे में विगत पांच से छह महीने से एमजीएम मेडिकल कालेज सहित देशभर मेडिकल कालेजों में रेजीडेंट डाक्टरों की एक भी बैच नहीं आई है। ऐसे में अस्पतालों में मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है। अस्पताल में डाक्टरों की कमी होने से मौजूदा डाक्टरों पर कार्य का दबाव बढ़ गया है। इन्हीं मुद्दो को लेकर सोमवार को जूनियर डाक्टरों ने अस्पताल की ओपीडी में काम नहीं किया। वार्ड व अन्य स्थानों पर जूनियर डाक्टर मौजूद रहे। इस मुद्दे पर आगामी रणनीति अन्य राज्यों के जूनियर डाक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारियों से चर्चा के बाद तय की जाएगी।
डॉ राकेश,जुडा