राहुल गांधी की न्युनतम आय की घोषणा से कई वर्ष पहले इंदौर के महिला संगठन इसे लागू कर चुके हैं, 2014 में इन्ही संगठनों ने नेताओं तक पहुँचाया था आइडिया
इंदौर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले दिनों न्यूनतम आय की घोषणा क्या की देश की राजनीति को एक नया मुद्दा मिल गया ।वही तमाम राजनीतिक दल के नेता प्रतिदिन न्यूनतम आय पर बयानबाजी कर रहे है। लेकिन यदि बात करे कि इंदौर में इस योजना को लागू हुए काफी समय हो गया और कई ग्रामीणों ने इस योजना का लाभ भी उठाकर अपने जीवन स्तर को सुधार लिया है।
जी हां इंदौर में एक महिला संगठन बीते कई सालों से न्यूनतम आय को लेकर काम कर रहा है
और इस काम को करने के लिए महिला सगठन की यूनिसेफ दिल्ली आर्थिक रूप से मदद करता है , इसके तहत महिला संगठन के सदस्य इंदौर के आसपास के गावो को चिंहित करते है। गाँव को चिन्हित करने के बाद गाँव मे रहने वाले ग्रामीणों की इनकम का आधार क्या है ,इसके बारे में जानकारी एकत्रित करता है। वही वहां के ग्रामीणों की रोजना की कमाई कितनी है इसके बारे में भी जानाकरी इकठ्ठा करते है। तमाम दस्तावेज एकत्रीत करने के बाद फिर यह महिला संगठन उन ग्रामीणों को प्रतेयक महीने सौ रुपये और दो सौ रुपये प्रतेयक परिवार के सदस्य के हिसाब से देता है। वही जैसे किसी परिवार में पांच सदस्य है उनमें दो बच्चे और तीन बड़े है तो बच्चो को सो रुपये प्रतिमाह मिलेगा और जो घर के बड़े सदस्य है उन्हें दो सौ रुपये प्रतिमाह मिलेगे और यह परिवार के मुख्या के अकाउंट में नही जाकर प्रतेयक सदस्य के अकाउंट में जाति है यदि किसी बच्चे का एकाउंट नही है तो उसकी मा के एकाउंट में वह राशि जाएगी ।
शिखा ,अध्यक्ष , महिला सगठन
इस तरह से इस योजना का फायदा यह हुआ है कि इंदौर के पास माली बड़ोदिया जिस गाँव से महिला सगठन के सदस्यों ने काम शुरू किया था उस गाँव के ग्रामीणों की माली हालत काफी सुधर गई , और वह अब पहले से बेहतर जीवन जी रहे है। वही जो किसान फुर्सत में थे उन्होंने खेती किसानी के अलावा भी व्यापार शुरू कर दिया वही जो ग्रामीण महिलाए घर की चार दिवारी में कैद रहती थी वह भी इस योजना का लाभ लेकर दूसरे अन्य काम कर घर के खर्च में अपना हाथ बटा रही है।
वही कुछ गाँव की महिलाओं से भी बात हुई तो उन्होंने बताया कि महिला संगठन के द्वारा जो काम किया जा रहा वो काफी अच्छा काम था इससे हमें अपना जीवन इस्तर को सुधारने में काफी आसानी हुई , क्योकि पहले गाँव मे करने के लिए कुछ नही था लेकिन महिला सगठन की महिलाओ ने बतया की गरीबो लोगो के जीवन इस्तर को सुधारने के लिए एक संस्था पैसे देती है जिसके बाद हमने उस सन्गठन में रजिस्ट्रेशन करवाया और हर महीने पैसे आने लगे साल भर पैसे इकठ्ठा कर हम सिलाई मशीन लेकर आये जिसके बाद हम सिलाई मशीन लेकर आ गए और गाँव के अन्य लोगो के कपड़े और अन्य सामान सिलने लग गए, इस काम को करने के कारण जीवन इस्तर में काफी सुधार आया है।
वही गावं के ही रहने वाली अन्य महिला का कहना था कि इस योजना से काफी लाभ मिला ,पहले ब्याज से रूपयर लेकर आना पड़ता था और काम खेती का काम करना पड़ता था लेकिन जब से इस तरह की योजना से लाभ मिला जिससे काफी समस्याओ का समाधान हो गया।
यदि हम सरकार की बात कर तो सरकार सिर्फ देश और प्रदेश की जनता को आशवशन ही देते है। जिस योजना का जिक्र कर राहुल गांधी वोट बैंक का लाभ उड़ाना चाहते है यदि वाक्य में वह इस योजना को लागू करते तो 2014 में ही लागू हो जाती क्योकि महिला संगठन के सदस्य उस समय की सरकार के नेताओ से मुलाकात कर उन्हें इस योजना के बारे में बता चुके थे वही इस तत्कालिक सरकार भी इसे लागू कर सकती थी लेकिन इसने भी इस और कोई ठोस कदम नही उठाये , वही देश के बाहर कईं देश न्यूनतम आय योजना को लागू कर चुके है जिनमे ब्राजील एवम दक्षिण अफ्रीका के कईँ देश शामिल है लेकिन एक मात्र भारत देश है जहाँ सिर्फ न्यूनतम आय योजना पर आशवशन देकर सरकार बनाते है और फिर पांच वर्ष आशवशन देकर सरकार चलकर फिर आरोप प्रत्यारोप की सरकार चलाना शुरू कर देते है।
रिपोर्टर – सन्दीप मिश्रा
कैमरामेन – जितेंद्र माथुर