एक ग़ज़ल के बोल है सच्ची बात कही थी मैने जहर का प्याला पीना पड़ा सूली पर चढ़ना पड़ा
बात ट्रैफिक सूबेदार अरुण सिंह की हो रही है, उनका सच का साहस जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तभी मुझे लगने लगा था इस बंदे की बलि ले ली जाएगी।
उनकी बस एक गलती रही जोश जोश में वे नाम ले बैठे, आज का ज़माना आईना दिखाने का नही है दोस्त।
ऐसा नही की पुलिस में दबंग अफसरों की कमी है लेकिन नोकरी व परिवार चलाने के लिए उनको समझौते करना पड़ते है ,पुलिस समाज का ही प्रतिबिम्ब है ,जैसा समाज वैसी पुलिस जो पुलिस से अतीरिक्त अपेक्षा रखते है वे पहले अपने गरेबान में झांक लिया करे।
निसंदेह इस एपिसोड से पुलिस का मनोबल गिरेगा ही सूबेदार साहब हौसला रखे सच मे बहुत ताक़त होती है आज नही तो कल जरूर इसके अच्छे परिणाम मिलेंगे।