किसानों से फसलों के अवशेष व नरवाई नहीं जलाने की अपील
इंदौर 11 अप्रैल 2019
जिले में किसानों से अपील की गई है कि वे खेतों में फसलों के अवशेष नरवाई नहीं जलाये। गेहूं कटने के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती के लिए नुकसानदायक हो सकता है। नरवाई जलाने से अन्य खेतों, खलिहान आदि में अग्नि दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। साथ ही मिट्टी की उर्वरता पर भी विपरित असर पड़ता है। धुएं से उत्पन्न कार्बनडाईऑक्साईड से वातावरण का तापमान बढता है और प्रदूषण में भी वृद्धि होती है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल असर हो़ता है। खेती की उर्वरा परत लगभग 6 इंच की ऊपरी सतह पर ही होती है इसमें तरह-तरह के खेती के लिए लाभदायक मित्र जीवाणु उपस्थित रहते हैं। नरवाई जलाने से यह नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को नुकसान होता है।
कृषि विभाग के उपसंचालक श्री विजय चौरसिया ने किसानों को सलाह दी है कि वे नरवाई जलाने की अपेक्षा अवशेषों और डंठलों को एकत्र कर जैविक खाद जैसे भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए। इससे वे बहुत जल्दी पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद बना सकते हैं। खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्कहैरो आदि की सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश खाद्य की बचत की जा सकती है। सामान्य हार्वेस्टर से गेहूं कटवाने के स्थान पर स्ट्रारीपर एवं हार्वेस्टर्स का प्रयोग करें तो पशुओं के लिए भूसा और खेत के लिए बहुमूल्य पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने के साथ मिट्टी की संरचना को बिगड़ने से बचाया जा सकता है।