कैपिटल प्राइड नामक एडवाइजरी द्वारा लाखों करोड़ों की ठगी के मामले में सभी मालिक अरेस्ट, सभी को भेजा जेल, पुलिस का एक रिटायर्ड डीएसपी करता था इनके मामले दबाने में मदद, थानों में शिकायत पहुंचते ही टी आई से मिलने चले जाता था
इंदौर में एडवाइजरी फॉर्म की आड़ में चार ठग कंपनियां संचालित करने वाले एक गिरोह का तिलक नगर पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया है। मौके से पुलिस ने तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों से 20 करोड़ के लेनदेन का रिकार्ड पुलिस के हाथ लगा है।
बता दें इंदौर के तिलक नगर इलाके में कैपिटल प्राइड के नाम से एक एडवाइजरी कंपनी संचालित की जा रही थी,जिसकी आड़ में पकड़े गए आरोपी चार अन्य कंपनियां संचालित कर रहे थे, साथ ही आरोपी विदेशों में भी यही से कई लोगों को ठगी का शिकार बना रहे थे। प्राथमिक पूछताछ में पुलिस को 20 करोड़ के ट्रांजैक्शन की जानकारी हाथ लगी है। वहीं पूर्व में तिलकनगर पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की थी जिसमे आरोपियो ने शुभम का नाम बताया था जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है |
मंजू यादव , थाना प्रभारी
वहीं तिलकनगर थाना प्रभारी मंजू यादव ने बताया कि आरोपी कैपिटल प्राइड एडवाइजरी संस्था की आड़ में कई और कंपनियां संचालित कर रहे थे, जिसमें कई कर्मचारियों का उपयोग किया जा रहा था। वही आरोपियों ने शेयर बाजार में निवेश कराने के नाम से देश ही नहीं विदेशों में भी ठगी करने का मौका नहीं छोड़ा हैं। शुरुआती पूछताछ में पुलिस को जानकारी चौकाने वाली जानकारी मिली है। वही पकड़े गए सभी आरोपियो का पुलिस ने दो दिनों का रिमांड लिया है वही पुलिस अब कैपिटल प्राइड एडवाइजरी संस्था के कागजो की बारीकी से जाँच कर रही है ताकि और भी खुलासे हो सके ।
गौरतलब है कि आरोपी शेयर बाजार में निवेश करवाने के नाम से बहुत छोटी रकम की धोखाधड़ी करते थे, जिसके कारण पीड़ित शिकायत करने से बचता है। फिलहाल मौके से तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें अजय और अमित दोनों ही बिहार के रहने वाले हैं जब के नीरज इंदौर का ही है और पहले शहर की ही एक नामी एडवाइजरी कंपनी में रिसर्च में काम किया करता था। आरोपी इंदौर में रह कर ठग कंपनी संचालित कर रहे थे। इसी कड़ी में पुलिस एक और आरोपी शुभम को गिरफ्तार किया है हालांकि पुलिस को पकड़े गए आरोपियों से कई बड़ी जानकारियां मिलने की संभावना है।
आपको बता दें कि आरोपियों ने छोटी मोटी शिकायतें निपटाने के लिए पुलिस के रिटायर्ड बीएसपी से कॉन्ट्रैक्ट कर रखा था जो शिकायतें थाने पहुंचते ही टी आई सरीखे अधिकारियों से मिल मामला दबाने की कोशिश करता था, पुलिस को उस रिटायर्ड डीएसपी की भूमिका की भी पूरी जांच करनी चाहिए।