इंदौर के महाराजा यशवंत राव होलकर की मन्नत का ताजिया है इंदौर में, इस्लामिक नए साल की हिजरी पर चौकी निकाल कर धोई गई, महाराजा के समय से है यह परंपरा
मोहर्रम का चाँद गुरुवार को नजर आ गया है । चाँद नजर आते ही चौकी धोने का रिवाज है । गुरुवार रात इस परम्परा को निभाया गया । हालांकि कोरोना के चलते सीमित संख्या में लोगो ने इस परम्परा का निर्वहन किया । इस दौरान शहर की अमन ओर सुकून के लिए दुआ भी मांगी गई ।
इस्लामिक नए साल हिजरी 1442 का आगाज गुरुवार को चाँद दिखने के साथ ही हो गया है । इस्लामिक केलेंडर के अनुसार मोहर्रम साल का पहला महीना होता है । इस माह की आठ नौ व दस तारीख को मुहर्रम के ताजिये निकलते है । इंदौर में होलकर काल से मुहर्रम माह का चाँद दिखते ही इमामबाड़े की चौकी धोने की परम्परा है । गुरुवार को यही परम्परा निभाई गई । शहर काजी डा इशरत अली ,इमामबाडा इंतेजामिया कमेटी के सदर हाजी इनायत हुसैन , सद्दाम पठान सहित मुस्लिम समाज के लोगो ने इस परम्परा को निभाया । कोरोना के चलते आम लोग ओर भीड़ को जमा नही होने दिया गया था । चौकी को इमामबाड़े से राजवाडा तक ले जाया गया । वहा सभी ने फातिहा पढ़कर दुआ मांगी ।
शॉट – चौकी उठते हुए , फातिहा पढ़ते हुए
इस मौके पर हाजी इनायत हुसैन ने बताया की नए साल की शुरुआत पर होलकर काल से ही इमामबाड़े की चौकी धोने की परम्परा चली आ रही है । लेकिन कोरोना के चलते सीमित संख्या में लोगो ने इस परम्परा को पूरा किया है ।
बाईट — हाजी इनायत हुसैन (सदर इमामबाडा )
बाईट – आशुतोष मिश्रा सीएसपी
इसी तरह शहर की अन्य मुस्लिम बस्तियों में भी चौकी धोने की परम्परा निभाई गई ।