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जयपुर

डॉक्टर्स डे पर चिकत्सा मंत्री रघु शर्मा ने एसएमएस अस्पताल में हुए सम्मान समारोह में लिया हिस्सा, डॉक्टर्स मेमोरियल बनाने की घोषणा, बोले सबने प्रत्यक्ष देखा की डॉक्टर्स भगवान का रूप होते हैं

*चिकित्सकों के सम्मान में एसएमएस अस्पताल में बनाया जाएगा डॉक्टर्स मेमोरियल*
_डॉक्टर्स के समर्पण भाव और जज्बे से ही कोरोना पर पाया जा सका नियंत्रण_
_-चिकित्सा मंत्री_

*‘डॉक्टर्स डे‘ पर चिकित्सा मंत्री ने चिकित्सकों की सेवाओं के लिए दिया धन्यवाद, जताया आभार*

जयपुर, 1 जुलाई। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि चिकित्सा दुनिया का ऐसा नोबेल पेशा है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाता है। इसलिए चिकित्सकों को सच्ची श्रंद्धाजलि देने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा एसएमएस अस्पताल में बन रहे 22 मंजिला ओपीडी टावर में डॉक्टर्स मेमोरियल का निर्माण कराया जाएगा।

डॉ. शर्मा ’नेशनल डॉक्टर्स डे’ पर राजस्थान मेडिकल काउंसिल द्वारा आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम और सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चिकित्सक, मेडिकल स्टाफ व अन्य चिकित्सा कार्मिकों की मदद से कोविड की प्रथम व द्वितीय लहर पर नियंत्रण पाया जा सका है। संभावित तीसरी लहर के लिए भी सभी कार्मिक पूरे जोश के साथ तैयार हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के चिकित्सकीय आधारभूत ढांचे को मजबूत करने का कार्य किया जा रहा हैै। उन्होंने बताया कि प्रदेश में एक वर्ष में लगभग 2700 मेडिकल ऑफिसर्स को नियुक्ति दी हैं। इसके अतिरिक्त चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती भी जल्द की जाएगी।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने चिकित्सा परिवार के सभी सदस्यों का ध्यान रखने का पूरा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि 6 साल से लम्बित नर्सिंग यूनियन के पदनाम परिवर्तन की मांग हो, फार्मासिस्ट कैडर का निर्माण हो, रेजिडेन्ट डॉक्टर्स के मानदेय में अभिवृद्धि हो, कोविड-19 से मृत्यु होने पर 50 लाख रुपए का मुआवजा जैसी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर आवश्यक कार्यवाही की है। उन्होंने कहा कि राज्य में चिकित्सकों की भी 2011, 2017 के समझौते के मुताबिक कैडर निर्माण की मांग लंबित है। कैडर कमेटी द्वारा जून माह में इस मांग के संबंध में प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को प्रस्तुत किया है। इसका निरीक्षण करवाकर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए जल्द ही लागू किया जाएगा।

चिकित्सा मंत्री ने बताया कि चिकित्सा व्यवसाय नहीं बल्कि समाज के प्रति एक चुनौतीपूर्ण कर्तव्य है। चिकित्सकों ने कोरोना काल में अपने स्वयं की परवाह किए बिना कोरोना पॉजिटिव रोगियों का पूर्ण निष्ठा, सेवा एवं समर्पण भाव से उपचार किया है और हजारों मरीजों को जीवन प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि लगभग 100 साल पहले आई महामारी के समय भी तत्कालीन चिकित्साकर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर मानवता का धर्म निभाया था। वर्तमान दौर में भी चिकित्साकर्मियों ने अपनी इन गौरवशाली परंपराओं को आगे बढ़ाया है।

डॉ. शर्मा ने बताया कि चिकित्सा कार्मिकों के प्रयासों के चलते ही कोरोना प्रबंधन और वैक्सीनेशन में राज्य की व्यापक स्तर पर प्रशंसा हुई है। उन्होंने कहा कि संभावित तीसरी लहर को देखते हुए भी हम प्रदेश के 350 से ज्यादा सामुदायिक केंद्रों में चिकित्सा के आधारभूत ढांचे को मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के क्षेत्र में प्रदेश को आत्मर्निभर बनाया जा रहा है। प्रदेश में करीब 400 जगहों पर ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। इन प्लांटों और उपकरणों के जरिए 1 हजार मेट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध हो सकेगी।

इस अवसर पर कोरोना काल में अपनी जान गवाने वाले चिकित्सकों के परिजनों को सम्मानित किया गया। साथ ही चिकित्सा क्षेत्र मंे कार्य कर रहे चिकित्सकों को भी प्रशस्ति पत्र दिए गए। कार्यक्रम में राजस्थान मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. केके शर्मा, रजिस्ट्रार डॉ. एसएस राणावत, डॉ. ईश मुंजाल, डॉ. दीपक माथुर, डॉ. श्रीकांत शर्मा सहित अन्य चिकित्साकर्मी व अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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