जयपुर नगर निगम में मुस्लिम महापौर नहीं बनाने का मामला पहुंचा ओवैसी के पास
अगले विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम उतार सकती है | हैरिटेज की चार विधानसभा में प्रत्याशी जयपुर कांग्रेस ने मुस्लिम मतदाताओं के भरोसे हैरिटेज नगर निगम तो बना दिया, लेकिन भविष्य में कांग्रेस की यह हरकत उनके गले की ही फांस बनने वाली है। कहा जा रहा है कि यह मामला एआईएमआईएम के अध्यक्ष असद्दुदीन ओवैसी के पास पहुंच चुका है और अगले विधानसभा चुनावों में ओवैसी के हैरिटेज की चार विधानसभा सीटों हवामहल, किशनपोल, सिविल लाइंस और आदर्श नगर में मुस्लिम, एससी-एसटी और ओबीसी मतदाताओं के भरोसे जयपुर में अपने प्रत्याशी उतारने की संभावना है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार मुस्लिम महापौर नहीं बनाए जाने से नाराज कुछ मुस्लिम समाज के लोगों ने यह बात ओवैसी के पास पहुंचाई है। ओवैसी को बताया गया है कि मुस्लिम वोटरों के भरोसे कांग्रेस ने परकोटे की आदर्श नगर और किशनपोल विधानसभा सीटें जीती हैं। यहां मुस्लिम मतदाताओं का प्रभुत्व है और दोनों विधायक मुस्लिम है। इसके अलावा हवामहल विधानसभा क्षेत्र में भी मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। सिविल लाइंस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों की संख्या कुछ कम है, लेकिन सिविल लाइंस समेन अन्य तीन विधानसभा सीटों में एससी-एसटी और ओबीसी को साथ लेकर ओवैसी यहां से अपने प्रत्याशी जिता सके हैं। ओवैसी को चारों विधानसभा सीटों पर मुस्लिम, एससी-एसटी और ओबीसी मतदाताओं की संख्या का आंकड़ा बताया गया। कहा जा रहा है कि ओवैसी ने जयपुर की इन चार सीटों पर वोटरों की गणित में काफी दिलचस्पी दिखाई है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि यदि ओवैसी भविष्य में जयपुर में अपने प्रत्याशी उतारने की संभावना तलाश रहे हैं | तो यह कांग्रेस के लिए काफी चिंता की बात है। कांग्रेस ओवैसी की पार्टी को भाजपा की बी टीम बताती आ रही है। मंगलवार को आए बिहार विधानसभा चुनावों के बाद भी कांग्रेस की ओर से ओवैसी की पार्टी को भाजपा की बी टीम कहा गया और आरोप लगाया गया है कि ओवैसी की पार्टी के कारण बिहार में महागठबंधन के वोट कटे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि यदि आवैसी ने अगले विधानसभा चुनावों में जयपुर में अपने प्रत्याशी उतार दिए तो कांग्रेस के लिए समस्या खड़ी हो जाएगी और इन चारों विधानसभा सीटों पर ओवैसी के प्रत्याशी कांग्रेस के वोट काटेंगे। सूत्रों का कहना है कि इन चारों विधानसभा सीटों पर ओबीसी और एससी-एसटी वोटरों की संख्या देखकर बसपा भी यहां अपने प्रत्याशी उतार सकती है। इन चारों विधानसभा सीटों पर ओबीसी और एससी-एसटी के इतने वोटर हैं कि वह अपने दम पर विधायक चुन सकते हैं। वैसे भी दो बार बसपा के विधायकों को कांग्रेस मे मिलाकर अपनी सरकार को सुरक्षित करने के चलते बसपा सुप्रीमो मायावती और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच छत्तीस का आंकड़ा हो गया है। मायावती भविष्य में राजस्थान में बड़ी संख्या में अपने प्रत्याशी उतार सकती है। राजस्थान में वोटरों के मूड के चलते बसपा के ज्यादा प्रत्याशी जीतने की संभावना नहीं है, लेकिन ज्यादा प्रत्याशी उतारकर एससी-एसटी ओर ओबीसी वोटरों को अपनी तरफ खींचकर बसपा कांग्रेस के वोट काटेगी और अपना बदला पूरा कर सकती है।