लोजपा राजग से अलग होकर उतरेगी मैदान में, जदयू के खिलाफ ही अपना उम्मीदवार उतारेंगे,”मोदी से बैर नहीं, नितीश तेरी खैर नही”
लोजपा ने बिहार का विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला अकेले लिया है। रविवार को हुई बैठक में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव ना लड़ने का ऐलान कर दिया है।अब देखना यह होगा कि बिहार में लोजपा से अलग होकर एनडीए को कितना फायदा मिलता है और कितना नुकसान। भाजपा और जेडीयू दोनों ही यह दावा करते हैं कि उनका स्वाभाविक गठबंधन है और दोनों ही दलों की आपसी समझ काफी बेहतर है। बिहार की जनता भी इन दोनों दलों के प्रमुख को सिर आंखों पर बिठाती आ रही है। परंतु इस बार तो विधानसभा चुनाव के आंकड़े ही बताएंगे की कौन कितना पानी में है।अगर बात करें वर्ष 2005 की तो फरवरी में विस चुनाव में जेडीयू के 138 उम्मीदवार थे और उसे 57 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और इस चुनाव में भाजपा के 37 प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद 2005 अक्टूबर में हुए चुनाव में जेडीयू ने 139 सीटों पर लड़कर 88 सीटें हासिल करी थी। अगर वर्ष 2015 की बात करें तो जेडीयू ने और एनडीए ने अपने अपने गठबंधन को अलग कर लिया था और आमने-सामने चुनाव लड़कर जेडीयू ने 101 सीटों में से 71 सीटें प्राप्त करी थी वही 157 सीटों पर लड़ने वाली भाजपा को सिर्फ 53 सीटें मिल पाई थी।लोजपा सूत्रों ने बताया है कि पार्टी बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में 143 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है और भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ वह अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. चिराग पासवान ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी बात की है क्योंकि भाजपा नेतृत्व गठबंधन को बनाए रखना चाहता है.
Reporter : नवीन पासवान