जयपुर -पुलिस उपायुक्त, जयपुर दक्षिण श्री हरेन्द्र कुमार ने बताया कि ‘‘दिनांक 26.9.2021 की रात्रि को ग्राम बालमुकुंदपुरा उर्फ बासड़ा निवासी एक व्यक्ति ने पुलिस थाना कोटखावदा जयपुर दक्षिण पर उपस्थित होकर अपनी 09 वर्षीय नाबालिग पुत्री के साथ गांव के ही आरोपी कमलेष मीना के द्वारा सुनसान जगह पर ले जाकर बलात्कार करने एवं गला दबाकर मारने का प्रयास करने के संबंध में रिपोर्ट पेष की जिस पर प्रकरण संख्या 215/21 धारा 376 (2) (प्) आईपीसी व 3/4, 5/6 पोक्सो एक्ट में दर्ज कर अनुसंधान थानाधिकारी श्री जगदीश तंवर पुलिस निरीक्षक द्वारा किया प्रारम्भ किया गया।
प्रकरण की गंभीरता को मद्देनजर वांछित आरोपी की तलाश व प्रकरण मे तत्काल सफलता प्राप्त करने हेतु श्री अवनीश कुमार अति.पुलिस उपायुक्त जयपुर दक्षिण के सुपरविजन एवं श्री देवीसहाय मीना सहायक पुलिस आयुक्त चाकसू के नेतृत्व में वृत चाकसू के समस्त थानाधिकारियों, जिला स्पेषल टीम प्रभारी तथा अपराध सहायक जयपुर दक्षिण की अलग-अलग टीमों का गठन कर वृत चाकसू के सभी थानों का 150 पुलिस अधिकारी/कर्मचारियों का जाप्ता प्रकरण की तफ्तीष, मुल्जिम की गिरफ्तारी व साक्ष्य संकलन हेतु लगाया गया। जिन्होनें आपसी समन्वय रखते हुए पृथक-पृथक दिये गये टास्क को पूरा कर प्रकरण का सम्पूर्ण अनुसंधान 18 घंटें में पूर्ण कर मुल्जिम कमलेष मीणा पुत्र श्री शंकर लाल मीणा उम्र 25 साल के विरूद्ध माननीय न्यायालय पोक्सो कोर्ट क्रम 03 महानगर जयपुर में चालान पेष किया।
प्रकरण में थानाधिकारी कोटखावदा श्री जगदीष तंवर पुलिस निरीक्षक को केस ऑफिसर नियुक्त किया गया। जिन्होने तत्परता से शीघ्र कार्यवाही करते हुए केवल 04 कार्यदिवसों में प्रकरण में कुल 19 गवाहों के बयान करवाये गये। पीड़िता के बयान न्यायालय में जरिये विडीयों कान्फ्रेंसिंग से करवाये गये। प्रकरण के संबंध में वांछित एफएसएल रिपोर्ट को अवकाष के दिन कार्यालय खुलावकर विषेष प्रयास कर शीघ्र प्राप्त कर न्यायालय में पेष की गई। प्रकरण में लोक अभियोजक की भूमिका सराहनीय रही है, जिन्होनें साक्ष्य को प्रभावी ढंग से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया।
आज दिनांक 05.10.2021 को माननीय न्यायालय पोक्सो क्रम 03 जयपुर महानगर द्वारा प्रकरण में आरोपी कमलेष मीणा को 20 वर्ष के कारावास एवं 02 लाख रूपयें जुर्माना की सजा सुनाई गई।
इस प्रकार जयपुर पुलिस द्वारा नाबालिग बच्ची के साथ हुए बलात्कार में शीघ्र कार्रवाई कर मुल्जिम को सजा दिलवानें में अहम भूमिका निभाई है जिससे पुलिस के प्रति आमजन में विष्वास अपराधियों में भय बनाया है।
प्रकरण दर्ज होने के मात्र 18 घंटे में अनुसंधान पूर्ण कर चालान न्यायालय में पेष करने एवं 05 कार्यदिवसों में ट्रायल पूर्ण कर फैसला सुनाने का राजस्थान के न्यायिक इतिहास का संभवतया पहला मामला है।