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पीडब्ल्यूडी में सामने आया तीन सौ करोड़ का डामर घोटाला, जोधपुर और कोटा के सबडिविजन ने अनाधिकृत कंपनियों से खरीदा घटिया डामर

 

पीडब्ल्यूडी में बड़े पैमाने पर डामर खरीद में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है । जोधपुर और कोटा सब डिवीजन में अफसरों ने ठेकेदारों से मिलीभगत कर 300 करोड़ का डामर कंपनियों से खरीद लिया जो अधिकृत ही नहीं हैं । कोटा-जोधपुर के अलावा जालोर, सिरोही, बाडमेर, झालावाड़ में भी गलत तरीके से खरीद हो रही है ।

पीडब्ल्यूडी ने डामर की क्वालिटी की जांच के बाद हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल और प्राइवेट कंपनी प्रोडक्ट्स को डामर खरीद के लिए अधिकृत कर रखा है ।

डामर सप्लाई करने वाली कंपनियों का पूरा रिकार्ड, लैब रिपोर्ट, बिल और गाड़ी नंबर सहित का पूरा विवरण संबंधित अफसरों को भेजा जाता है ।

हैरानी की बात यह कि किसी भी अफसर ने ठेकेदारों से इसे लेकर सवाल-जवाब करने की जहमत नहीं उठाई है
दोनों कंपनियां अधिकृत नहीं हैं |

जांच में आया है दोनों कंपनियां ही डामर सप्लाई के लिए अधिकृत नहीं हैं । न्यू हॉरिजन कंपनी सूची में नहीं है। कोटक एस्फाल्ट कंपनी पहले सूची में शामिल थी, लेकिन वेलिडिटी खत्म हो गई है। -संजीव माथुर, चीफ इंजीनियर
हर साल 2 लाख टन गलत खरीद, प्रदेश में हर साल 10 लाख टन डामर खरीदी जाती है ।

अनाधिकृत कंपनियों से हर साल करीब 2 लाख टन डामर खरीदी का घपला स्टेट हाईवेज की बन रही सड़कों में हो रहा है ।
कोटा-जोधपुर विंग के अफसरों ने कोटक एस्फाल्ट लिमिटेड और न्यू होरिजन्स एस्फाल्ट प्राइवेट लिमिटेड से डामर खरीदा दोनों कंपनियों को विभाग ने अधिकृत ही नहीं कर रखा ।

दोनों कंपनियों को 20 लाख भुगतान भी कर दिया गया। इसमें कोटक का 8 लाख 67 हजार रुपए तो न्यू हॉरिजन का 11 लाख 11 हजार का भुगतान किया गया है। कोटक ने 22 जनवरी 2021 को तो न्यू हॉरिजन ने 2 फरवरी 2021 को बिल जारी किया है ।
20 लाख का भुगतान कर दिया पर न किसी ने रोका न टोका

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