इंदिरा गांधी नहर के इतिहास में पहली बार सरहिंद फीडर से नहर क्षेत्र को पानी देने की व्यवस्था की गई है । हरिके बैराज से निकली सरहिंद फीडर में आरडी 496 के पास कट लगाकर उसे इंदिरा गांधी नहर से लिंक कर दिया गया है ।
आरडी 496 के पास ही कट इसलिए लगाया क्योंकि इसी जगह से हरिके बैराज से समांतर निकले इंदिरा गांधी और सरहिंद फीडर के रास्ते जुदा होने लगते हैं ।
इससे पहले सरहिंद से सिर्फ भाखड़ा सिस्टम यानी श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ तक ही पानी आया था, लेकिन पहली बार प्रदेश के 10 जिलों तक सरहिंद फीडर का पानी पहुंच रहा है। यह व्यवस्था इसलिए की गई है क्योंकि इस बार नहरबंदी 60 दिन की है। यदि सरहिंद फीडर से पानी की सप्लाई नहीं की जाती तो पश्चिमी राजस्थान के जिलों में पानी को लेकर हाहाकार मचता, क्योंकि स्थानीय स्तर पर भी जिलों के पास एक महीने तक ही पानी सप्लाई करने की व्यवस्था है ।
हरिके बैराज से आरडी 496 तक इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत का काम भी शुरू कर दिया गया है । पंजाब को यहां 30 मई तक काम करने का मौका मिलेगा । इस दौरान करीब 40 किलोमीटर नहर दुरुस्त होगी। राजस्थान को जब 28 अप्रैल से पानी सरहिंद फीडर से भी मिलना बंद हो जाएगा, तब राजस्थान सीमा में भी नहर की मरम्मत शुरू होगी। इसलिए राजस्थान को करीब 30 दिन ही काम करने का मौका मिलेगा। राजस्थान में इन 30 दिनों में करीब 40 किलाेमीटर नहर की मरम्मत होगी । पंजाब सीमा में नहर के पटड़े से लेकर तले तक खुदाई और मरम्मत का काम होगा, इसलिए पंजाब को मरम्मत के लिए ज्यादा समय दिया गया है। पंजाब सीमा में नहर 132 किलोमीटर लंबी है, लेकिन मरम्मत की जरूरत 100 किलोमीटर क्षेत्र में ज्यादा है। खासकर वहां जहां तक सरहिंद फीडर राजस्थान नहर के बराबर चल रही है ।
राजस्थान में कम काम होना है इसलिए 30 दिन का समय लगेगा। गौरतलब है कि 21 मार्च से नहरबंदी शुरू हो गई है, लेकिन फिलहाल खेती के लिए सिंचाई का पानी ही बंद किया गया है । 28 अप्रैल से 30 मई तक करीब एक महीने पीने का पानी भी बंद रहेगा।
मरम्मत के बाद राजस्थान को 1500 क्यूसेक पानी ज्यादा मिलेगा, पेयजल-सिंचाई का कोटा बढ़ेगा: इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत होने के बाद पानी की छीजत कम होगी। फिलहाल नहर से करीब 1500 क्यूसेक वाटर लॉस होता है, क्योंकि हरिके से आरडी 496 तक जगह-जगह लीकेज है ।
अगर 1500 की जगह 1000 क्यूसेक वाटर लॉस भी बच जाता है तो राजस्थान को ज्यादा पानी मिलने लगेगा। दूसरा फायदा ये कि जब चार समूह में नहर चलती है तो पंजाब चारों समूह में 12000 क्यूसेक से ज्यादा पानी ये कहकर नहीं देता कि नहर कमजोर है। नहर इससे ज्यादा पानी बर्दाश्त नहीं कर सकेगी और टूट जाएगी ।
मरम्मत होने के बाद नहर में पानी की क्षमता बढ़ जाएगी। वैसे नहर की डिजाइन 18500 क्यूसेक की है लेकिन हरिके बैराज से नहर में पानी छोड़ने का अभी सिर्फ 15000 क्यूसेक का ही इंतजाम है । हरिके बैराज पर सिर्फ पांच गेटों से ही नहर को पानी मिलता है जबकि नियमों के हिसाब से सात गेट होने चाहिए। बैराज के पास एक धार्मिक स्थल बनने के कारण दो गेट बनाने की जगह नहीं बची है। दरअसल राजस्थान को पानी पौंग डैम में उपलब्धता के आधार पर बंटवारे से मिलता है ।
पौंग डैम के कुल पानी का 49 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान का है। कई सालों से डैम में पानी कम होने से तीन या चार समूह में ही पानी मिल रहा है। इस साल 60 हजार क्यूसेक पानी कम मिला । राजस्थान के किसानों को तीन समूह में ही पानी दिया गया।
पंजाब में कट का काम पूरा हो गया। सरहिंद से आरडी 496 को जोड़ दिया गया। अभी 1800 क्यूसेक पानी मिल रहा है ।
पांच दिन जो पानी नहीं मिला, उससे राजस्थान के पौंड खाली हो गए जिन्हें भरा जा रहा है। 28 अप्रैल तक सारे जलस्रोत भरे जाएंगे। उसके बाद जैसे ही पानी बंद होगा तो राजस्थान में मरम्मत होगी। पंजाब एक-दो दिन में मरम्मत शुरू करेगा। विनाेद मित्तल, मुख्य अभियंता जल संसाधन हनुमानगढ़
एक नजर में जानें नहर के बारे में सबकुछ
} पंजाब सीमा में इंदिरा गांधी नहर 132 किलोमीटर है। हरिके बैराज से सरहिंद फीडर और आईजीएनपी आरडी 496 तक बराबर चलती है ।
} राजस्थान में आईजीएनपी की लंबाई 470 किलोमीटर है, लेकिन मुख्य शाखा 256 किलाेमीटर की ही है।
} बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, चूरू, झुंझुनूं और सीकर जिले को इस नहर से पीने का पानी दिया जाता है ।